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________________ सत्यामृत उन्हें स्वयं गिरा देते हैं, चलते फिरते प्राणियों के उत्तर-- यह भी भक्षक घात है इसलिये अंग न तो इस प्रकार कट कटकर गिरते हैं पाप है । हां यह बात अवश्य है कि सीधा मांस न कटने पर नये आते हैं। वृक्षों को नीचे से लेने की अपेक्षा मांस के द्वारा बनी हुई दवाइयों भी काटो तो फिर बढ़ते हैं बल्कि कोई कोई वृक्ष में कम पाप है क्योंकि इससे प्रत्यक्ष मांसभक्षण काटने से तीव्र गति से बढ़ते हैं जब कि पशु की आदत नहीं पड़ती, मांसभक्षण से आंशिक पक्षी आदि में यह बात नहीं होती। इसलिये ग्लानि बनी ही रहती है । बहुत से लोग मछली वनस्पत्याहार और मांसाहार बराबर नहीं समझा का तेल पी जाते हैं फिर भी मछली नहीं खा जा सकता, हां, मांसाहार वहां कम पाप कहा मकने फल यह होता है कि मछली का तेल पी जा सकता है जहां वनस्पति काफी न जाने पर भी मांसभक्षणा की आदत नहीं पड मिलती हो । पाती। हां, इस प्रकार कम पाच होने पर भी प्रश्न- जहां मंसाहार के बिना गुजर नहीं पाप अवश्य है इसलिये ऐसी दवाइयों का भी होती उस जगह के लोग क्या आत्महत्या करले ? न्या। करना उचित है । जहां निष्पाप जीवन बिताया नहीं जा सकता प्रश्न- अधिकांश बीमारियों से शरीर में वहां जिन्दा रहने गे क्या लाभ ! एक तरह के कीटाणु पैदा होते हैं चिकित्सा उत्तर- आत्महत्या करने की अपेक्षा वह करने से उन क! घात अवश्य होता है तो चिकित्सा देश छोड़ देना अच्छा, पर हो सकता है कि की जाय या नहीं। यह सम्भव न हो कदाचित् एकाध व्याक्ति को उत्तर- अवश्य की जाय । कीटाणु मारना सम्भव हो पर अभिनय को न हो इसलिये यह हमारा ध्येय नहीं है, रक्तशुद्धि या शरीरशुद्धि राजमार्ग नहीं है। माना या तभी उचित कही करना ध्येय है उस में अगर कीटाणु मरते हैं तो जा सकती है। मनुष्य को अपने निर्वाह के यह आरम्भज घात है, पाप नहीं है । बल्कि लिय दसरे भनष्यों . खर जाना पडता हो। कीटाणुओं का शरीर पर यह एक तरह का मी जगह निरकार र कर प्राण त्याग कर आक्रमण है, अक्रनगर... से रक्षा करना न्यायरक्षक देना चाहिये । पर जहां मनुष्य को उदरनिर्वाह घात है इसलिये यह और भी अधिक निष्पाप है। के दिन पशुगर ही करना पड़ता हो वहां आत्म- प्रश्न- गर्भ में बच्चा इस तरह फँसगया हो हत्या न करे सिर्फ कम से कम वध करने का कि बच्चे को बचाओ तो माँ को मारना पड़ता प्रयत्न करे ऐसी हालत में उसके लिये यह भक्षक है, मैं को बचाओ तो बच्चे को मारना पड़ता है बात न रह जायगा या बहुत कम रह जायगा, तो किसको मारा जाय या किसी को न मारा जाय ! यह आरम्भज घात बन जायगा । उत्तर-- किसी को न माराजाय तो दोनों प्रश्न- औषध के लिये जो कभी माम देते हैं या मर जायगे इसलिये एक का मारना जरूरी है देसी दवाइयां लेने है जिनमें पशु आदि का वध और वदर बर्थ का मारना। क्योंकि बच्चे की करना पड़ता है तो इसे क्या कहा जायगा ! अबका चैतन्य अधिक है। दूसरी बात
SR No.010818
Book TitleSatyamrut Achar Kand
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDarbarilal Satyabhakta
PublisherSatyashram Vardha
Publication Year
Total Pages234
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size82 MB
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