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________________ २५७ ) सत्यामृत कलं कहीन चन्द्रमा सरीखा मुखड़ा, कहां तक कई दिन हिमोजा के दर्शन हुए । प्रेम की ओट में तुम्हारा एक एक अंग एक एक उपांग चुम्बक की मोह रखनेवाले विश्वासघाती हिमोजा का मह तरह मुझे खींचता है, मैं इस आकर्षण से कभी देखना भी इलिया को पसन्द न था पर अब वह नहीं छूट सकता तब विवाह की बला किसलिये? विश्वासघात का बदला लेना चाहती थी इसलिये ___ यह कहकर हिमोजा ने ऐसी तिरछी आंखों उसने हिमोजा का आदर किया, शराब पिलाई से देखा और मुसकरादिया कि इलिया लज्जित किन्तु एक प्याले में विष मिलाकर उसने हिमोजा हो गई। विवाह की बात दूर रही और दोनों के प्राण ले लिये । इस प्रकार मोही जीवन का चैन से रहने लगे। अन्त हो गया । हिमोजा मोही था इसलिये वह कुछ समय बाद इलिया गर्भवती हामी विश्वासपात्र सिद्ध न हुआ और इस अविश्वास भार से उसके दारीर में अटस रहने लगा बह की प्रतिक्रिया इलिया के जीवन में भी हुई । चचलता न रही। हिमोजा की कामुकता में बाधा पश्न-प्रेम और मोह का भेद आपने साफ़ पड़ने लगी । उसने देखा आंग्यों में अब वह कटाक्ष तो किया फिर भी जीवन में ऐसी ऐसी घटनाएं नहीं है वह चपलता नहीं है । कुछ समय बाद होती रहती हैं कि यह पता लगाना मुश्किल है हिमोजा के ऊपर लिया : सेवा का भी भार कि उनके मूल में प्रेम समझा जाय या मोह समझा भनेर । मोजा ने दे। अब इलिया का जाय। कहीं कहीं तो प्रेम की उपयोगिता ही रसत्रोत सूखा जा रहा है या किसी दुसरी तरफ़ नहीं मालूम होती और मोह ही उचित मालूम 4ह 102 इसलिये हिमोजा किसी दूसरी वेश्या होता है, मोह के विना समाज में बड़ी अव्यवस्था के यहां आने जाने लगा। हो जायगी । जैसे एक आदमी ने हमारे ऊपर दुर्भाग्य मे बच्चा होने के दो तीन दिन पहिले बहुत उपकार किया पालन पोषण किया जीवन इलिया के पेट में काफी दर्द रहा। यह देखकर दिया पूरा विश्वास रक्ता, पर हमें मालूम हुआ हिमोजा ने इलिया के यहां आना बिटकुल्ट अट कि वह पाप करता है दूसरों को ठगता है । अब कर दिया । अंतिम दिन तो इलिया की हादन आवश्यकता होने पर भी अगर मैं उसके पापको बहुत खराब रही। पड़ोनिने अगर उमको मदद न अमट नहीं करता हूं तो मोही हूं। अगर प्रगट पहुंचाता तो प्रगति के दिन वह मर गई होती करता हूं तो कृतन और विश्वासघाती पर इस प्राण संकट के समय भीम. दूसरी है। इसका परिणाम भी ऐसा बुरा होगा कि कोई बेश्या के यहां मौज कर रहा था। आदमी किसी का उपकार न करेगा न विश्वास अब इलिया को प्रेम और मांड का असर रखेगा। इसी प्रकार धर्म समझ कर पति के समझ में आया और यह भी समझा कि हिमोजा देने वाली पत्नी में प्रेम माना जाय या ने विवाह के लिये क्यों मना कर दिया था र मोह ! इन सब बातो क! निर्णय कैसे किया जाय ! दो मीन महीने बाद टिया की तबियत अच्छी उत्तर- जीवन विरोध से भरा हुआ है । है: गई, उसके शरीर पर फिर पहिले सरीखी कभी दे ३५. इस तरह हमारे मामने आ नय, आने लगा । नब कर लिया को एक जानी है उनमें से किसी एक ! अपनाना
SR No.010818
Book TitleSatyamrut Achar Kand
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDarbarilal Satyabhakta
PublisherSatyashram Vardha
Publication Year
Total Pages234
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size82 MB
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