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________________ भगवताकउपाग प्रबन्ध करके दम दिइ करना चाहिये । ऐसी जहां अभी :: ..... ही नहीं हुई है, जम बीमारी के लिये खास कानन या सामाजिक नियम उमएकान्त द्वीप में ..... ... ... नही है, ऐसे होना चाहिये जिसमे नव दम्पति पुराने बीमार अवसर पर कम से या एक माय बड़पनिय बहकी सेवा के लिये जिम्मेदार हों। पत्नीत्व मबचल सकता है। उमममय सामाजिक ___टीक तो यही है कि बीमारी के कारण नियमों में चिपटे रह कर मर न करना चाहिये, तलाक न हो पर ऊपर की चार बातें कट्टो हो और न ऐसे उदाहरण में यलमान ... ..... और तलाक का अवसर आ जा५ नो मन का में शिथिटना जाना चाहिये। प्रबन्ध होने पर तलाक दिया जा सके । यह ..: विवाह संस्था है वहीं व्यभिचार नियम स्त्री आर रुपनर नियतकमा सम्बन्धी पाप या उपाय में बनने की जरूरत प्रश्न - सम्मान की नंबरमा हो है; अगर विवाह की प्रथा न हो तो वहां शील या वनमान दाम्पत्य मान होने की आसान व्यभिचार का विचार कैसे होग ! कहा जाता तो बहुपति व कार की अनुमति दी है कि पुराने युग में विवाह होता ही नहीं था जब या तलाक की अनुमति दी जाय। जिमको जिसके साथ रहना होगा श रहना या उचर-----देने की नदी जाय । मकवाना होता था चला जाता था। इस अवस्था को गोद लेकर शिशुपान या अपमानापमय कहे या पुण्यमय ! सेवा में दोनों अपना जनन अकाद। उत्तर-उन्मुक्त जीवन की अपेक्षा विवाहित सन्तान के लिये दाम्पत्य की कित करतानचन समाज के लिय अधिक ... है। अनुचित है। . : आने जाने की सामाजिक स्वतन्त्रता प्रश्न -दम्पति के मन्तानहीन होने से क्या होने पर दाम्पत्य जीवन चिन्तामय और अविश्वाममनुष्य-जाति का क्षय न हो जायगा ! भय हो जाता है इसलिये यह उचर--संसार के आदम्पति अगर मन्नान- समाज में अगर विवाह की प्रथा नहो और हीन होंगे तो भी मनुष्य जाति का क्षय ना उन्मुक व्यवहार चलता हो तो कहने के लिये सकता, उसे क्षय-मार्ग पर जानेवाली भी नही व्यभिचार का उपचाप या पाप न रहेगा और कह सकते क्योंकि शेष दम्पति अपनी मन्नान व्यक्तिको उपमापन पर : म : मे जनसंख्या सुरक्षित रख सकते हैं। सन्दता क! : : अवश्य होगा । बुराई को प्रश्न-ई ऐसा द्वीप हो जहां मनुष्य की कोई नाम दिया जाय या न दिया जाय, अग्र वस्ती न हो वहां कोई जहाज भटक कर पहंच यह है तो उसका दुष्फल होता ही है । इसलिये जाय जिसमें एक पुरुष और स्त्रियां होsi सन्तान- विवाह संस्था होयानोपर दाम्पत्य को अधिक बद्धि के लिये एक पुरुष के साथ अनेकवियों से अधिक स्थिर पवित्र छटरहित विश्वस्त बनाने का विवाह उचित होगा या अनुचित ? की जरूरत है। कम से कम इतना तो नाही उचर--मनाक के लिये इस प्रश्न के उत्तर चाहिये कि सन्तान का उत्तरदायित्व दोनों उटावें। का कुछ उपयोग नहीं है यह तो वहां की बात है . अगर सन्तान के . ." की जिम्मेदारी
SR No.010818
Book TitleSatyamrut Achar Kand
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDarbarilal Satyabhakta
PublisherSatyashram Vardha
Publication Year
Total Pages234
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size82 MB
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