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________________ २१९ ] सत्यामृत २ स्वार्थी, ३ संकुचित, ४ अल्पोदार, ५ अ?- ५ अर्घोदार वे हैं जिनमें राष्ट्रीयता पर्याप्त दार ६ उदार ७ परमोदार । __मात्रामें है राष्ट्र से छोटी स्वार्थसीमाओं पर जो परमम्वार्थी वे लोग हैं जो अपने सिवाय उपेक्षा करते हैं राष्ट्रहित का सदा खयाल रखत हैं। कि.मी भी दूसरे के स्वार्थ की पर्वाह नहीं करते, ६ उदार वे हैं जो मनुष्यमात्र से प्रेम करते माता पिता पानी पुत्र आदि के लिये भी जो हैं राष्ट्र की सीमाएं भी जिनके प्रेम को कैद कष्ट नहीं उठाते या उतना ही उठाते हैं जितना नहीं करा सकत। न अन्याय करा सकती हैं। अपने स्वार्थ के लिये आवश्यक होता है । ७ परमोदार वे हैं जो प्राणिमात्रके स्वार्थ आफ्रिका की कुछ जंगली जातियों में बूढे मां बाप को अपना स्वार्थ समझते हैं ध्येयदृष्टि अध्याय में ३च दिये जाते हैं जरासी बात में पत्नी और बतलाया हुआ विश्वहित ही जिनका लक्ष्य होता है। मन्नान की हत्या कर दी जाती है यह परमस्वार्थी का उग्रप है। माधारणतः परमस्वार्थी अधि- प्रश्न-उतार या परमोदार व्यक्ति मनुष्यमात्र या कांश पशुओं में, कळ असभ्य जातियों में और प्राणि मात्र के हित पर ही ध्यान देगा वह घर के सभ्य जातियों के कुछ व्यक्तियों में पाये जाते हैं। स्त्री पुत्रों की विशेष पर्वाह नहीं करेग क्योंकि ___ इससे उसकी उदारता को धक्का लग जायगा इस २-स्वार्थी वे हैं जो अपना स्वार्थ और प्रकार उदारों के स्त्री बच्चों को मौत के मुंह में अपने घरवालों का स्वार्थ एक बना देते हैं । वे चोरी चपाटी आदि घरके बाहर करेंगे। जाना पड़ेगा। वे जिस राष्ट्र में रहते हैं उस पर . अपने घरवालों का स्वार्थ सिद्ध हो कोई अत्याचार भी करे तो भी वे विरोध करना जाय फिर जाति प्रान्त राष्ट्र और मानवता जहन्नुम पाप समझेंगे क्योंकि यह बात उदारता के विरुद्ध में जाय उन्हें कुछ मतलब नहीं। मनुष्यों का है। इस प्रकार उदारता का वही फल होगा जो अकर्मएक बहुत बड़ा भाग इस श्रेणी में है। ण्यता या दंभ का होता है । ३ संकुचित वे हैं जो अपने घर वालों की उत्तर-उदारता का इतना ही अर्थ है वह ही नहीं किन्तु रिश्तेदारों और विभक्त हुए कुटु न्याय की हत्या न करे इसलिये उसके कुटम्बी भी म्बियों की भलाई भी अपनी भलाई समझते हैं अगर अन्याय होंगे तो वह उनका समर्थन न करेगा परन्तु कट्टम्बियों के विषय में जो उसका उनके साथ कोई अनीति नहीं करते किन्तु उदाग्ता का व्यवहार रखते हैं और उनके लिये कुछ उत्तरदायित्व है, उदारता के नाम पर उस पर उपेक्षा नहीं कर सकता । पत्नी का पति के विषय में, पति का पत्नी के विषय में जो कर्तव्य १ अल्पोदार वे है जो अपनी जाति या है वह उन्हें पूरा करना ही चाहिये । वह कर्तव्य उपजानि या प्रान्त के लिये उदार हैं स्नेही है जाति तो एक प्रकार का ऋण या प्रान्त की उम्ननि या यश को अपनी उन्नति या है अगर वह पूरा न करे तो वह पाप करेगा। यश ममझते हैं पर राष्ट्र की या मनुष्यता की अपने देश के ऊपर होने वाले अत्याचार को दूर करने का प्रयत्न उसे परमोटार होने पर भी ।
SR No.010818
Book TitleSatyamrut Achar Kand
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDarbarilal Satyabhakta
PublisherSatyashram Vardha
Publication Year
Total Pages234
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size82 MB
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