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________________ उपकृतके आँसू किसी गाँवमे एक अत्यन्त दुराचारी और आततायी व्यक्ति रहता था। सारा गाँव उसके अत्याचारोंसे दुखी था। किन्तु किसोका साहस नहीं था कि उसके विरुद्ध कुछ कर सके । उस व्यक्तिके कारण एक तरहसे वह सारा गांव देशभरमे बदनाम हो गया था। एक बार उसने गांवके मन्दिरसे देवताकी स्वर्णजटित मूर्ति चुरा ली और मन्दिरकी देश-विख्यात नर्तकीका अपहरण करके उसे कहीं अन्यत्र छिपा आया । अपने धर्म और उपासनाके साधनोंपर उसे दुष्टका यह प्रहार ग्रामवासियोंको सहन न हुआ और विवश होकर उन्होंने गांवके कुछ लोगोंको राजाके दरबारमे गुप्त रूपसे भेजकर उस व्यक्तिको दण्ड देनेकी प्रार्थना की । राजाने आवश्यक कार्यवाहीका आश्वासन देकर उन लोगोंको लौटा दिया। कुछ दिन बाद राजा अपनी प्रजाके सुख-दुःखका निरीक्षण करता हुआ उस गाँवमें आया। लोगोंने यथोचित उत्साह और सत्कारके साथ उसका स्वागत किया। गांवमें राजाका दरबार लगा । राजाकी आज्ञासे उस आततायी व्यक्तिको भी दरबार में उपस्थित होना पड़ा। लोगोंने देखा, राजाके सम्मुख आकर उस व्यक्तिके चेहरे में भय या विनयकी कोई भी चेष्टा नहीं थी। उसकी स्वाभाविक क्रूरता यथावत् उसकी भाव-भंगिमामें विद्यमान थी। 'तुमपर तुम्हारे ग्राम-वासियोंके बहुतसे आरोप है', राजाने उस व्यक्तिको लक्ष्यकर कहा-'और उन्हींका न्याय करनेके लिए मैं आज यहाँ आया हूँ।' 'न्यायकी जितनी शक्ति आपके हाथमें है उसका प्रयोग आप करेंगे
SR No.010816
Book TitleMere Katha Guru ka Kahna Hai Part 02
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRavi
PublisherBharatiya Gyanpith
Publication Year1991
Total Pages179
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size9 MB
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