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________________ ५३२ योगशास्त्र:पंचम प्रकाश एक-द्वि-त्रि-चतुः-पञ्च-चतुर्विशत्यहाक्षयात् । षडादीन् दिवसान पंच शोधयेदिह तद्यथा ॥११॥ ___ अर्थ- सूर्यनाड़ी में लगातार छह, सात, आठ, नौ या दस दिन तक उसी तरह वायु चलता रहे तो वह १०८० दिनों में से क्रमशः एक, दो, तीन, चार और पांच चौबीसी दिन कम तक जीवित रहता है। मागे इसे ही चार श्लोकों से स्पष्ट करते हैं षट्कं दिनानामध्यक, वहमाने समोरणे । जीवत्यह्नां सहस्र षट्-पंचाशदिवसाधिकम् ॥१२॥ अर्थ- यदि सूर्यनाड़ी में छह दिन तक पवन इ.लता रहे तो वह एक चौबीसी कम १०८०-२४-१०५६ दिन तक जीवित रहता है । तथा सहस्र साष्टकं जीवेद, वायौ सप्ताहवाहिनि । सषत्रिंशन्नवशतों, जोवेदष्टाहवाहिनि ॥१३॥ __ अर्थ सात दिन तक लगातार वायु सूर्यनाड़ी में चलता रहे तो बह १०५६ दिन में दो चौबीसी कम १०५६-४८-१००८ दिन तक जीवित रहता है । तथा आठ दिन तक लगातार सूर्यनाड़ी चले तो ६३६ दिन जीवित रहता है। एकत्रेव नवाहानि, तथा वहति मारते । अह्नामष्टशतं जोवेच्चत्वारिंशदिनाधिकम् ॥१४॥ ____ अर्थ-उसी तरह यदि नौ दिन सतत वायु चलता रहे तो ६३६ दिनों में से चार चौबीसी अर्थात् ६३६-६६=८४० दिन जीवित रहता है। तथैव वायो प्रवहत्येकत्र दश वासरान् । विशत्यभ्यधिकामह्नां, जोवेत् सप्तशती ध्रुवम् । ९५।। ___ अर्थ-उसी तरह पोष्णकाल में निरन्तर बस दिन तक सूर्यनाड़ी में वायु चले तो पूर्वोक्त ८४० दिनों में से पांच चौबीसी कम अर्थात् ८४०-१२०-७२० दिन तक ही जीवित रहता है। एक-वि-त्रि-चतुः-पंच-चतुर्विशत्यहाक्षयात् । एकादशादिपञ्चाहतया शोध्यानि तद् यथा ॥६६॥ अर्थ-यदि ग्यारह दिन से ले कर पन्द्रह दिन तक एक ही सूर्यनाड़ी में पवन चलता रहे तो सातसौ बीस दिन में से क्रमशः एक, दो, तीन, चार और पांच चौबीसी दिन कम करते जाना। ग्रन्थकार स्वयं स्पष्टीकरण करते हैं एकादशदिनान्यर्कनाड्यां वहति मारुते । षण्णवत्यधिकान्यता, षट्शतान्येव जीवति ॥९७॥
SR No.010813
Book TitleYogshastra
Original Sutra AuthorN/A
AuthorPadmavijay
PublisherNirgranth Sahitya Prakashan Sangh
Publication Year1975
Total Pages635
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size48 MB
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