SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 170
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ योगशास्त्र : द्वितीय प्रकाश मधुपर्के च यज्ञ च पितृदेवतकर्मणि । अत्रैव पशवो हिंस्या नान्यत्रत्यब्रवीन्मनुः ॥३५॥ अर्थ मधुपर्क, एक प्रकार का अनुष्ठान है, जिसमें गो वध का विधान है ; ज्योतिष्टोम यज्ञ, जिसमें पशुवध करना विहित है ; पितृश्राद्धकर्म, जिसमें माता पिता आदि पितरों के प्रति श्राद्ध किया जाता है ; एवं देवतकर्म, जिसमें देवों के प्रति महायज्ञ आदि अनुष्ठान किया जाता है ; इन सब अनुष्ठानों में ही पशुहिंसा करनी चाहिये, इसके अतिरिक्त कामों में नहीं । अर्थात् इन्हीं कर्मों में विहित पशुहिंसा पाप नहीं है ; अन्यत्र पशुहिंसा पाप है । इस प्रकार मनु ने मनुस्मृति के पांचवें अध्याय में कहा है एश्वर्थेषु पशुन् हिंसन् वेदतत्त्वार्थविद् द्विजः । आत्मानं पशूश्चैव, गमयत्युत्तमां गतिम् ॥३६॥ अर्थ उपर्युक्त कर्मों के लिए पशुहिंसा करने वाला वेद के तात्त्विक अर्थ का ज्ञाता विप्र अपने आपको और पशुओं को उत्तम गति (स्वर्ग, मोक्ष आदि) में पहुंचाता है। हिंसा करने की बात को एक ओर रख दें, तो भी दूसरों को हिमा के उपदेश देने वाले कैस हैं ? यह बताते हैं ये चक्र : क्रूरकर्माणः, शास्त्रं हिंसोपदेशकम् । क्व ते यास्यन्ति नरके, नास्तिकेभ्योऽपि नास्तिकाः। ३७॥ अर्थ स्वयं हिंमा न करके जिन्होंने हिंसा का उपदेश (प्रेरणा) देने वाले शास्त्र (मनुस्मृति आदि) रचे हैं, वे कर कर्म करने वाले निर्दय दीखने में आस्तिक दिखाई देते हैं, लेकिन वे नास्तिकों से भी महानास्तिक है । पता नहीं, वे कौन-से नरक में जायेंगे ? आगे और कहते हैं वरं वराकश्चार्वाको योऽसौ प्रकटनास्तिकः । वेदोक्तितापसच्छद्मच्छन्नं रक्षो न जैमिनि ॥३८॥ अर्थ बेचारा चार्वाक, जो बिना किसी दंभ के नास्तिक के नाम से जगत् में प्रसिद्ध है, अच्छा है मगर तापसवेष में छिपा हुआ जैमिनि रामस, जो 'वेद में ऐसा कहा है, इस प्रकार वेदों की दुहाई देकर वेद के नाम से लोगों को बहकाता है हिंसा की ओर प्रेरित करता है), अच्छा नहीं है।
SR No.010813
Book TitleYogshastra
Original Sutra AuthorN/A
AuthorPadmavijay
PublisherNirgranth Sahitya Prakashan Sangh
Publication Year1975
Total Pages635
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size48 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy