SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 94
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ ममयसार कला टीका माहिए हमारही। प्रवे ने जिय गुरु सरकाबही ॥२१॥ जानिनो नानानिवत्ताः सर्वे भावा भवन्ति हि। मवंऽप्यज्ञान निवृता भवन्त्यमानिनस्तु ते ॥२२॥ निश्चय में सम्यग्दष्टि के जितने भी परिणाम है. चाहे वे गुभोपयोग पहा अथवा अगभोपयोग रूप हो-- मब ज्ञानम्वरूप है। भावार्थ... सम्यकदाट का द्रव्य गदत्वम्प परिणमा है इसलिए मम्यगर्दाष्टके जो भी परिणाम है ज्ञानमय दव जाति के होने में कर्म के अवधक है। मथ्यादाट का द्रव्य अगदत्व रूप परिणमा है अत उसके सभी परिणाम गम बन्ध वं. कारण है। भावार्थ मम्य र जीवनी तथा मध्यादष्टि जीव की क्रियाएं चाह र. मी. प्रिया मरः विपय कपाय भीक मा है परन्तु द्रव्य के परिणमन में है। योग ... मम्मदष्टि का द्रव्य चकिशद्धन्वरूप परिणाम मला या जनने भी राम:. नाई ने दिपक अनुभव म्प हो, अथवा विनारम्प हो, अथवा न क्रियामा ६. अथवा भागांवलाम म्प हो, अथवा चरित्रमाह. . उदयन काध-गान-माया-नाम रूप हा, व मवक सब हा परिणाम ज्ञान जानि 7 घोटत हान है और मवर, निजंग के कारण है। मिथ्याप्टि का द्रव्य अशुद्धम्प परिणमन कर रहा है इसलिए जा भी मिथ्यादष्टि के परिणाम है अनुभवम्प ना है ही नहीं--माला चाहे मूत्र तथा मिद्धान्तों न. पाटप हो, अथवा ग्रन या नाग्नगणम्प हो. अथवा दान-पुजादया-गील प हो. अथवा मार्गावलामम्प हो. अथवा काध-मान-माया-माम सपनों वे सभी परिणाम अजान जाति के है तथा बन्ध्र के कारण है, संवर. निजंग के कारण नहीं है। दया के परिणमन की ऐसी ही विशेषता है ॥२२॥ संबंया दगा दान पूजादिक विषय कमायादिक. दह कर्म भोग पंह को एक खेत है। जानी मढ़ कामदोस एक से परिणाम. परिणाम मेद न्यारो न्यागे फल देता है। ज्ञानवंत करनी कर 4 उदासीन प. ममता न पर तात निर्जरा को हेतु है।
SR No.010810
Book TitleSamaysaar Kalash Tika
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMahendrasen Jaini
PublisherVeer Seva Mandir Trust
Publication Year1981
Total Pages278
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size16 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy