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________________ ५. ममयसार कलश टोका जानावरणादि द्रव्यम्प पुदगलपिडकर्म की कर्ना जीव वस्तु है, ऐसा जानना मियाजान है। एक मना में कर्ना-कम-क्रिया (का कयन) उपचार में किया है। जो जीव द्रव्य और पुद्गल द्रव्य भिन्न मतारूप हैं उनमें कर्ना-कर्म-क्रिया (मबधकम घटगा : ॥७॥ दोहा...कर्मा कम क्रिया करे, क्रिया कर्म करतार । नाम भेद वविधि भयो, बस्तु एक निर्धार ॥७॥ पार्या नोमी परिणामतः खलु परिणामो नोनयोः प्रजायेत । उभयानपरिणतिः म्याद् यदनेकमनेकमेव सदा ॥८॥ मा निश्चय है कि नननालक्षण जीवद्रव्य तथा अचनन कपिडरूप गुदगल व्य. ए. परिणाममप परिणमन नहीं करते हैं। भावार्थ ..जवद्रव्य अपनी ही गद्र चननाम्प अथवा अगद्ध चेतनारूप व्याया म र कला हैगुदगलद्रव्य अपने अचेतन लक्षणम्प, गद्ध परमाणमा अथवा जानावग्णादि कर्मापड म्प अपन में ही व्याय-व्यापकम्पम परिणमन करता है। परन्तु जीवद्रव्य और पुदगल द्रव्य दोना मिलकर अगद्ध चननाम्प हैं और रागद्वषम्प परिणाम में परिणमन करने है, मा नो नही है। जीवद्रव्य और पदगल द्रव्य दानों मिलकर एक पयांग कप नहा दान । जाब और उद्गल को मिलकर एक क्रिया नहीं होनी । वस्तु का म्वरूप माहा है। जीव और पुद्गल भिन्न मतारूप हैं तथा जीव आर गुदगल गदा हा मित्र म्प --एक रूप कम हांगे ? भावार्थ जीवद्रव्य और पुद्गलद्रव्य भिन्न मनाम्प, मोदि पहले भिन्न मत्तापना छोड़ कर एक मनाम्प हो तो पाछे : उनमें। कना-कम-क्रियापना टिन हो । मो वे एक म्प तो होगे नही. दौलए जीव और पुद्गल का आपस में कर्ना-कर्मक्रियापना भी टिन नहीं होगा ।।८।। दोहा--एक कर्म कर्तव्यता, करे न कर्ता दोय । दुवा प्रव्य सत्ता गुदो, एक भाव क्यों होय ॥८॥ प्रार्या नकस्य हि कर्तारौ द्वौ स्तोतु कर्मणी न कस्य । नकस्य किये हे एकमनेकं यतो न स्यात् ॥६॥
SR No.010810
Book TitleSamaysaar Kalash Tika
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMahendrasen Jaini
PublisherVeer Seva Mandir Trust
Publication Year1981
Total Pages278
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size16 MB
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