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________________ जीव-अधिकार किमपरममिवम्मो बाम्निसकऽस्मिन्न नुभवमुपयाते माति न द्रुतमेव ॥६॥ यह जो स्वयंसिद्ध चेतनात्मक जीववस्तु है उसका प्रत्यक्षरूप से आस्वाद माते हुए कोई भी सूक्ष्म या स्थूल अन्तर्जल्प या बहिर्जल्प रूप विकल्प नहीं होता है । भावार्थ-अनुभव प्रत्यक्ष भान है। प्रत्यक्ष अर्थात् वेद्यवेदकभावपने से आस्वादस्प है। ऐसा अनुभव पर सहायता से निरपेक्षरूप है । ऐसा अनुभव यद्यपि मानविशेष है, तथापि सम्यक्त्व से अविनाभूत है जो सम्यग्दृष्टि को होता है, मिथ्यादृष्टि को नहीं होता, ऐसा निश्चय है । ऐसा होने पर जीववस्तु अपने शुलस्वरूप का प्रत्यक्षरूप से आस्वादन करता है। इससे जितने काल अनुभव है उतने काल बचन व्यवहार छुटा रहता है।पन व्यवहार तो परोक्षरूप से कथन है और जीव प्रत्यक्षरूप से अनुभवशील है। इससे वचन व्यवहारपना कुछ नहीं रहता । जीववस्तु सब विकल्प क्षय करने बाली है । भावार्थ-सूर्य का प्रकाश जैसे अन्धकार मे सहज ही भिन्न है वैसे ही अनुभव भी समस्त विकल्पों से रहित है। प्रश्न-अनुभव होते समय कोई विकल्प रहता है या कि अपने आप ही समस्त विकल्प मिट जाते हैं ? उत्तर-समस्त विकल्प मिट जाते हैं। जिस अनुभव के होने पर प्रमाण-नय-निक्षेप भी मूठे हो जाते हैं, वहां रागादि विकल्पों की तो बात ही नहीं। भावार्थ-रागादि तो मूठे ही हैं। जीव स्वरूप से बाहर हैं। प्रमाणनय-निक्षेप बुद्धि से कोई जीवद्रव्य का द्रव्य-गुण-पर्यायरूप अथवा उत्पादव्यय-ध्रौव्यरूप भेद करते हैं वह सब मूठा है। जो कुछ वस्तु का स्वाद है बही अनुभव है। प्रमाण अर्थात् युगपत् अनेक धर्म ग्राहक ज्ञान, वह भी विकल्प है। नय अर्थात् वस्तु का कोई एक गण ग्राहक ज्ञान भी विकल्प है। निक्षेप अर्थात उपचार घटनास्प ज्ञान, वह भी विकल्प है। अनादि से जीव मन्नानी है। जीवस्वरूप को नहीं जानता । उसको जब जीव सत्व की प्रतीति होती है तब ही वह वस्तु स्वरूप को साधता है। उसका साधना गुण-गुणी शान के द्वारा होगा। दूसरा उपाय तो कोई है नहीं। इसलिए वस्तु स्वरूप का गुणगुणी भेदरूप विचार करने मे, प्रमाण, नय, निक्षेप विकल्प उत्पन्न होते हैं। वे विकल्प पहली अवस्था में भले ही है । तथापि स्वल्पमात्र के अनुभव होने पर मूठे हैं ॥६॥
SR No.010810
Book TitleSamaysaar Kalash Tika
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMahendrasen Jaini
PublisherVeer Seva Mandir Trust
Publication Year1981
Total Pages278
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size16 MB
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