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________________ २११ मसाम-द्रव्य अधिकार रोहा-गगन प्रानंदमय मान वेतना भाम । निर्विकल्प शास्वत गुधिर कीजे अनुभो नाम ॥५१॥ इतीदमात्मनस्तत्वं ज्ञानमात्रमस्थित अन्वरमेकमचलं म्वमवेद्यमबाधितम् ॥५२॥ प्रत्यक्ष है जो गड जीव का म्याप का शानमार शद नननामात्र . अमर-प्रवा . ना . प्रपनाम अमित जान गण मे ग्वानव गानर, कमान मन परमी वाया उत्पन्न करने में ममर्थ नहीं है पूर्ण नाम गमगार पर गा गिदान गितहा। भावार्य पद ज्ञानमार गार प्रयतमा मथन करने पर प्रत्य मम्पूर्ण ना ! दोहा-प्रसन्न प्रवरित मानगय. पण वोन ममत्व । मानगम्य बाधारित मोहे प्रातम न्य। गवं विद्धि द्वार पर, यो प्रगट शिवपंथ । कुनकुन्द मुनिगहन, पूरण भयो प्राय ॥५२॥ ॥ इतिहमा अध्याय ॥
SR No.010810
Book TitleSamaysaar Kalash Tika
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMahendrasen Jaini
PublisherVeer Seva Mandir Trust
Publication Year1981
Total Pages278
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size16 MB
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