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________________ आचा० ॥८३२॥ विगेरे त्रिक चोतरा विगेरे उपर उभेला भगवानने जोइने पूछतां जवाब न आपवाथी हाथमां शक्ति कुंत (भाला) विगेरे राखनारा भगवानने पीडा करता हता. तथा इन्द्रियोथी उन्मत्त थयेल स्त्रीओ भगवान पासे एकांतमा भोगनी याचना सुंदर रुप जोइने करती सूत्रम् हती. अथवा शरीर सुगंधी जोइने अथवा पोतानुं तेवू सुंदर शरीर वनाववा इच्छता पुरुषो भगवान पासे उपाय पूछता हता. जवाब न मळवाथी भगवानने दुःख पण देता हता. 'Iક રૂરી इहलोइयाई परलोइयाइं भीमाइं अणेगरूवाई । अवि सुब्भि दुब्भिगन्धाइं सद्दाइं अणेंगरूवाइं ॥९॥ अहियासए सया समिए फासाइं विरूवरूवाइं । अरइं रई अभिभूय रीयइ माहणे अबहुवाई ॥१०॥ स जणेहिं तत्थ पुच्छिसु एगचरावि एगया राओ। अवाहिए कसाइत्था पेहमाणे सचाहिं अपडिन्ने ॥११॥ अयमंतरंसि को इत्थ ? अहमंसित्ति भिक्खुआहह । अयमुत्तमे से धम्मे तुसिणीए कसाइए झाइ ॥१२॥ आ लोकमां एटले मनुष्ये करेला दुःखना स्पर्शी तथा देवताए करेला दिव्य स्पर्शी तथा तिर्यचोए करेला उपसर्गोनां दुःखो तथा पर भवे करेलां पापोथी उदयमां आवेलां दुःखोने पोते समताथी सहे छे. अथवा आज जनममा जे दंडाना प्रहार विगेरे दुःख दे छे. तथा ते शिवायना परलोक संबंधी भीम (भयंकर) जुदा जुदा उपसर्गो आवे छे. ते बतावे छे. एटले सुगंधीवाळा ते फुलनी |माळा तथा चंदन विगेरे छे. अने कोहेलां मुडदां विगेरे दुर्गधवाळा छे तेज प्रमाणे वीणा वेणुं मृदंग विगेरेथी मधुर अवाज तथा कमेलक (उंट) नु बराडवू विगेरे कानमां कठोर अवाज लागे छे. ते बन्नेमां भगवान रागद्वेष करता नथी. [९] RECSCRECENG-0-06- 0
SR No.010803
Book TitleAgam 01 Ang 01 Acharang Sutra Part 02
Original Sutra AuthorN/A
AuthorBhadrabahu, Shilankacharya
PublisherShravak Hiralal Hansraj
Publication Year1933
Total Pages890
LanguagePrakrit, Sanskrit, Gujarati
ClassificationManuscript, Agam, Canon, & agam_acharang
File Size40 MB
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