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________________ आचा आ प्रमाणे-पांचमो उद्देशो समाप्त थतां, धूतास्य नामर्नु छ? अध्ययन पण समाप्त थयु. (टीकाना श्लोक ८३५ छे.) छठं अध्ययन समाप्त छठा पछी सातमु अध्ययन कहेवू जोइए, पण ते विच्छेद जवाथी आठमुं विमोक्ष नामर्नु अध्ययन कहे छे. सूत्रम् ॥७१८ ॥७१८॥ अथाष्टमं विमोक्षाध्ययनम् सातमु अध्ययन महापरिज्ञा नामर्नु हतुं, ते विच्छेद जवाथी तेने मुकी छटा साथे आठमानो संबंध कहेवो जोइए, ते आ प्रमाणे छे. छठा अध्ययनमा पोतानां कर्म शरीर, उपकरण तथा गौरवत्रिक तथा उपसर्ग सन्मानना विधूनन वडे निःसंगता बतावी, पण जो है। अंतकाळे सम्यग निर्वाण थाय तोज ते सफलता पामे तेथी सम्यग निर्याण (समाधि मरण) बताववा माटे आ आरंभ करे छे. अधवा निःसंग विहारी साधुए अनेक प्रकारना परिसह उपसर्गो सहन करवा, एवं छट्ठामां बताव्यु, तेमां मारणांतिक उपसर्ग आवे छते अदीन मनवाला बनीने सम्यग् निर्याणज करवू, ए विषय बताववा आ आठमुं अध्ययन छे आ संबंधे आवेला आ अध्ययनना उपक्रम विगेरे चार अनुयोग द्वार थाय छे, तेमां उपक्रम द्वारमा आवेलो अर्थ अधिकार के प्रकारनो छे, तेमां अध्ययननो पूर्वे कयो छे, अने उद्देशानो अर्थाधिकार नियुक्तिकार कहे छे. असमणुनस्स विमुक्खो, पढमे बिइए अकप्पियविमुक्खो; पडिसेहणा य रुटस्स, चेव सब्भावकहणा यः ॥२५३॥ तइयमि अंगचिट्ठाभासिय आसकिए य कहणा य%; सेसेसु अहीगारो उवगरणसरीरमुक्खेसु ॥२५४॥ गलबालबखन
SR No.010803
Book TitleAgam 01 Ang 01 Acharang Sutra Part 02
Original Sutra AuthorN/A
AuthorBhadrabahu, Shilankacharya
PublisherShravak Hiralal Hansraj
Publication Year1933
Total Pages890
LanguagePrakrit, Sanskrit, Gujarati
ClassificationManuscript, Agam, Canon, & agam_acharang
File Size40 MB
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