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________________ आचं निर्म 18थयेला होय छे, अने हिंसा त्यागी विहिस [दयाळ] तथा शोभन व्रत धारण करीने सुव्रत वनेला छे, तथा इन्द्रियो दमीने दांत छे, 15 आचा० आचा० द आq निर्मळ वर्तन करनारा छे. आना संबन्धमा नागार्जुनीया कहे छे: सूत्रम् । समणा भविस्सामो अणगारा अकिंचणा अपुत्ता अपसूया अविहिंसगा मुव्वया दंता परदत्तभोइणो पावं कम्मं न करेस्सामो समुहाए । ॥७०२॥ ___ अमे आगार (घर) रहित अणगार थइशं; तेम, अकिंचन अपुत्र अप्रसूत (स्त्री विनाना ) दयालु सारा व्रतवाळा, इन्द्रि दमन 8 ॥७०२। ल करनारा गोचरीथी निर्वाह करनारा बनीने पाप कर्म नहीं करशं. एम जाणीने दीक्षा ले छे. [सुगम सूत्र होवाथी टीका नथी.] आत प्रमाणे प्रथम सिंह जेवा बनी दीक्षा ले छे, अने पछी दीन (रांक) शीयाळीया जेवा विहार करवामां ढीला बनीने त्यागेला भोगोनेश पाछा ग्रहण करी पतित थयेलाने तुं जो. प्रथम तेओ दीक्षा ले छे, अने पछी पापना उदयथी दीक्षा मुकी दे छे. [गुरुए पोताना M शिष्यने स्थिर करवा शिथिळतानो आवो दृष्टांत आपेल छे. भ-तेओ शा माटे दीन थाय छे ? उ०-तेओ इन्द्रियोना विषयो तथा कपायोथी परवश थवाथी वशात छे, तेवा शिथि-2 लने कर्मनो बन्ध थाय छे. ते कहे छे:सोइंदियवसट्टेणं भंते ! कइ कम्म पगडीओ बन्धइ? गोयमा! आउअवजाओ सत्त कम्मपगडीओ जाव अणुएरिअट्टइ, कोह वसट्टेणं भंते ! जीवे एवं तं चेव ॥ - गौतमनो प्रश्न-हे भगवन् ! कानने वश थइने जीव केटली कर्म प्रकृतिओ बांधे ? उ०-आयु छोडीने सात. प्र०-क्रोधने 18 वश थइने केटली ? उ०-एज प्रमाणे. आ प्रमाणे मान विगेरेमां पण समजबु, बळी ते ढीला साधुओ परीसह उपसर्ग आवतां BREAMBEGIMES
SR No.010803
Book TitleAgam 01 Ang 01 Acharang Sutra Part 02
Original Sutra AuthorN/A
AuthorBhadrabahu, Shilankacharya
PublisherShravak Hiralal Hansraj
Publication Year1933
Total Pages890
LanguagePrakrit, Sanskrit, Gujarati
ClassificationManuscript, Agam, Canon, & agam_acharang
File Size40 MB
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