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________________ %E स्थान छे. जघन्य उत्कृष्टनु विशेष आ छे, जघन्य वर्गणाना अनंतमेभागे अधिक उत्कृष्ट वर्गणा छे. अहीआं पण अनंत भागनु अआचा०४ नंत परमाणुपणुं जाणवू तेथी आ एक विगेरे प्रदेश वृद्धिना प्रक्रमथी अयोग्य वर्गणाओनुं जघन्य उत्कृष्टपणुं विगेरे जाणवू. अही0 /. महाआमासूत्रम् विशेष आटलुं छे के जघन्य उत्कृष्टनो भेद अहीआं अभव्यथी अनंतगुणो अने सिद्धोथी अनंतमे भागे छे, ते वर्गणाओनं पण पूर्व ॥२६०॥ हेतु कदंबक (समूह) थी भाषा द्रव्य अने आनापान (श्वासोच्छवास) द्रव्यतुं अयोग्य पणुं जाणवं. अने अयोग्य उत्कृष्ट वर्गणामां ॥२६॥ एक रूप नांखेथी आनापान वर्गणा जघन्य थाय छे. तेनाथी एक एक रूपे वधतां उत्कृष्ट वर्गणाओना अंतवाली अनंती थाय छे. जघन्यथी उत्कृष्टा जघन्यथी अनंत भाग अधिक जाणवा तेना उपर एक रुप वधतां जघन्य उत्कृष्ट भेद बडे अग्रहण योग्य वर्गणा 4 छे. पण विशेषमा अभव्योथी अनंत गुण अने सिद्धोथी अनंतमे भागे छे. फरीथी अयोग्य उत्कृष्ट वर्गणा उपर प्रदेशथी मांडीने वृद्धि । करतां जघन्य उत्कृष्ट भेदवाली मनोद्रव्य वर्गणा छे. जघन्य वर्गणानो अनंतमो भाग विशेष छे. फरीथी प्रदेशना वधता क्रमथी अग्रहण वर्गणा छे. विशेपमां अभव्यनो अनंत गुण विगेरे छे. अने ते वर्गणाओ प्रदेशना बहु पणाथी अने अति सूक्ष्म पणाथी मनो द्रव्यने अयोग्य वर्गणाओ छे, तथा अल्प प्रदेशपणाथी अने बादरपणाथी कार्मण शरीरने पण अयोग्य छे, तेना उपर एक रुप नाखवाथी जघन्य कार्मण शरीरनी वर्गणा छे, वळी एक एक प्रदेशनी वृद्धि करतां उत्कृष्ट अनंत सुधी छे. प्रश्न-जघन्य उत्कृष्टनो शुं विशेप छे. ? उत्तर-जघन्य वर्गणानो अनंतमो भाग अधिक ते उत्कृष्ट वर्गणा छे, अने ते अंनत भाग अनंता अनंत परमाणुरूप होवाथी -- ISA56REACRA -SENSAR
SR No.010803
Book TitleAgam 01 Ang 01 Acharang Sutra Part 02
Original Sutra AuthorN/A
AuthorBhadrabahu, Shilankacharya
PublisherShravak Hiralal Hansraj
Publication Year1933
Total Pages890
LanguagePrakrit, Sanskrit, Gujarati
ClassificationManuscript, Agam, Canon, & agam_acharang
File Size40 MB
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