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आची
॥५९०॥
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वाल चणादि अथवा अल्प आहार ले, ते पण विगइ रहित लुखो ले, आवो आहार कोण ले ? वीर पुरुषो कर्म विदारण करवाने समर्थ होय तेवा, वळी ते केवा छे ? सम्यक्त्वदर्शिओ अथवा समत्वदर्शिओ छे, अने जे तुच्छ लुखो आहार खानारो छे, तेने शुंद
सूत्रम् गुण थाय ते कहे छे के, उपर बतावेल उत्तम गुणवाळो भावौध (संसार) ने तरे छे, कोण तरे ? मुनि होय ते, (अने तेवा गुण है धारण करावथी) हमणाज वर्तमानकाळमां तीर्ण (तर्या जेवो)ज छे, अने ते बाह्य अभ्यंतर संगना अभावथी मुक्त जेवोज छे. ॥५९०॥
-आवो कोण छे ? उ:-जे सावध अनुष्ठानथी विरत होय ते. आ प्रमाणे वताव्यो सुधर्मास्वामी कहे छे के में एम भगवान महावीर पासे सांभळ्युं ते तमने कछु.
लोकसारअध्ययनमां बीजो उद्देशो समाप्त थयो । 65948ctory
चोथो उद्देशो. हवे चोथो उद्देशो कहे छे, तेनो संबन्ध आ प्रमाणे छे, पहेला उद्देशामां हिंसा करनार विपयारंभ करनार एकलविहारी होय । तो पण तेने मुनिन्वनो अभाव वताव्यो, पण वीजा अने त्रीजामां तो हिंसा अने विपयारंभ तथा परिग्रह छोडवावडे साधुपणुं छे, & तथा हिंसा करनार परिग्रहधारीना दोपो बताव्या. अने तेनाथी विरत (मुक्त) होय तेज मुनि छे, एम बताव्यु. अने आ चोथा |
उद्देशामा एकला फरनाराने मुनिपणानो अभाव छे, तेथी तेनो दोपो वताववावडे कारणो कहे छे. आ प्रमाणे संवन्धथी आवेला चोथा उद्देशानुं आ पहेलुं सूत्र :
AASACREAD
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