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________________ * ज्ञान, ऐश्वर्य अने धनवाळो, तथा जातिवंश, तथा बळवाळो तेजस्वी, बुद्धिमान प्रख्यात ए गुणवाळो पूर्ण कहेवाय; अने तेथी ४ 14 रहित ते तुच्छ कहेवाय. आनो परमार्थ आ छे के, साधुओ, भिक्षुक विगेरेने तेना कल्याण माटे स्वार्थ राख्या विना उपदेश करे सूत्रम् छे. तेज प्रमाणे चक्रवती विगेरेने पण उपदेश करे छे. १४११॥ ___अथवा चक्रवर्ती विगेरेने संसारथी पार उतारवाना हेतुने जेबा आदरथी कहे छे, तेज प्रमाणे भीक्षुकने पण कहे . आ वा 4॥४११॥ 16 क्यथी साधुमां 'निरीहता' (निस्पृहता) वतावी. . पण एवो नियम नथी के, बधाने एक सरखीरीते कहेवू; पण जेम जेने चोध लागे तेम तेने कहेवू; एटले, बुद्धिमानने समजावq होय तो सूक्ष्म वात कहेवी; अने सामान्य बुद्धिवाळाने सादी वात कहेवी; तथा राजाने कहेतां तेना अभिमायने अनुसरीने कहे; एटले, उपदेशके विचार के, आ राजा अन्यदर्शनना आग्रहवाळो छे के, मध्यस्थ बुद्धिवाळो छे के संशयवाळो छे ? के, दि संशयरहित छे ? तथा आग्रहवाळो छतां, कुतीर्थिओए कदाग्रहवाळो वनाव्यो छे के, पोते कदाग्रही छे ? जो एवो होय; तो, तेने आ प्रमाणे कहेतो क्रोध थाय. जेमकेः___ “दशसूना समश्चक्रो, दशक्रिसमो ध्वजः । दशध्वजासमो वेश्या, दशवेश्या समो नृपः ॥१॥" दशसूना समान चक्री छे, अने दशचक्री समान ध्वजा छे. अने दशध्वजा समान वेश्या छे. अने दश वेश्या जेवो एक राजा छे. माटे ( आयु न बोलq.) तेनी भक्ति रुद्र, विगेरे देवता उमर होय; तो, तेनु चरित्र कहेतां तेने तेना पापना उदयथी सत्य, * * *
SR No.010803
Book TitleAgam 01 Ang 01 Acharang Sutra Part 02
Original Sutra AuthorN/A
AuthorBhadrabahu, Shilankacharya
PublisherShravak Hiralal Hansraj
Publication Year1933
Total Pages890
LanguagePrakrit, Sanskrit, Gujarati
ClassificationManuscript, Agam, Canon, & agam_acharang
File Size40 MB
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