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________________ % A आचा सूत्रम् ॥ ७ ॥ ॥३७॥ ASLISHES जोइने प्रतिज्ञा करी के, जो मारं 'तप-तेज' होय; तो, बीजा भवमां लश्कर, वाहन, राजधानीसहित पुरोहित, जेणे मने दुःख दीg छे, ते वधानो नाश करीश. ते प्रमाणे पाछळथी देवता थइने नाश कर्यो, तेज प्रमाणे मानना उदयथी बाहुबळीए प्रतिज्ञा करी के, H प्रथम दिक्षा लीधेला नाना भाइओने हुं केवीरीते नमस्कार करूं. कारण के तेओ केवळज्ञानी थया छे, अने हुं छदमस्थ ज्ञानवाळो छं. तेज प्रमाणे कपटना उदयथी मल्लिस्वामीना जीवे पूर्व भवमां वधारे उंचं पद लेवा बीजा मित्र साधुओने ठगवा माटे कर्यु हतुं, एटले पेला मित्रोने खवडावीने पोते उपवास करेल हता ते, तथा लोभना उदयथी परमार्थ न जाणनारा वर्तमाननो लाभ जोनार यतिनो बेश राखनारा मास क्षपण (महीना महीनाना उपवास) करनारा छतां प्रतिज्ञा (नियाj) करे छे, (अर्थात् क्रोध, मान, मायाना लोभथी चारित्र भ्रष्ट न कर. ते बताव्युं छे) अथवा वसुदेव माफक संयमर्नु अनुष्ठान करतो नियाj न करे के हुँ आवता भवमां आवा भोग भोगवनारोथाउं अथवा गोचरी | विगेरेमा गएलो एवी प्रतिज्ञा न करे के मने आवीज गोचरी मळवी जोइए, अथवा जैन मतमां स्याद्वाद् प्रधान होवाथी जिन १ वचनमा एकांत पक्ष ग्रहण न करे, ते अप्रतिज्ञ जाणवो, जेम के मैथुन विषय छोडीने कोइपण जग्याए कोइपण नियमवाली प्रतिज्ञा , न करवी जेथी का छे केः"न य किंचि अणुण्णायं, पडिसिद्धं वावि जिणवरिंदेहिं । मोत्तुं मेहुणभावं न तं विणा रागदोसेहिं ॥१॥" जिनेश्वरे कइपण कल्पनीयनी आज्ञा आपी नथी. अने कारण वढे कोइपण जातनो निषेध पण कर्यो नथी; पण तीर्थंकरोनी आ 6-%A5-4- 15
SR No.010803
Book TitleAgam 01 Ang 01 Acharang Sutra Part 02
Original Sutra AuthorN/A
AuthorBhadrabahu, Shilankacharya
PublisherShravak Hiralal Hansraj
Publication Year1933
Total Pages890
LanguagePrakrit, Sanskrit, Gujarati
ClassificationManuscript, Agam, Canon, & agam_acharang
File Size40 MB
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