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________________ भावना प्रकरण भव- सचिवं नियमज्जाओ अन्नं पि हु परियणं जणवयं च । पच्छा जेट्ठ पुत्तं ठावेऊणं नियपयम्मि ॥१३॥ धर्मेणैव सुख प्राप्तौ विहिणा सकलत्तो वि हु दिक्खं घेत्तण पालिऊणं च । सुरलोए उप्पन्नो सिज्झिहिइ महाविदेहम्मि ॥१४॥ नरपति॥ इति पुराधिपनन्दनाख्यानकं समाप्तम् ॥ दुहित्रा ख्यानकम् अथ नरपतिदुहित्राख्यानकमुच्यते जउणानईए तीरे रयणवई नाम पुरवरी आसी । ससुरयणा वि निहीणासेसजणा धणयनयरि व्व ॥ नामेण अमरके तीए निवो आसि मयरकेउ व्व । कमलुब्भवोऽवि णिजियसयलजओ रइसणाहो य ॥ एयस्स अग्गमहिसी पाणेहिंतोवि वल्लहा भजा । धूयाओ तीइ जायाओ सत्त पुत्तो न एकोऽवि ॥३॥ Kell अह ताण अइमहंते केबलधूयाहिं बडिढए खेए । अहमियाऽवि हु धूया जाया तत्तो विसन्नाए ॥४॥ देवीए अकहिउँ चिय रन्नो खिविऊण कट्ठमइयाए। मंजूसाए एसा पवाहिया जउणसरियाए ॥५॥ अस्सउरम्मि य नयरे सुलसो नानेण वाणिओ आसि | केवलयहुधूयाहिं संतविओ वट्टए सोऽवि ॥६॥ तेण य सा मंजूसा पत्ता गेहम्मि आणिऊण तओ। उग्घाडिया नरेसरधूया दिट्ठा य तम्मा ॥७॥. ॥ ४४६ ॥
SR No.010801
Book TitleBhav Bhavna Prakaranam Part 02
Original Sutra AuthorN/A
AuthorSubodhchandra Nanalal Shah
PublisherGangabai Jain Charitable Trust Mumbai
Publication Year1986
Total Pages516
LanguageSanskrit
ClassificationManuscript
File Size19 MB
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