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________________ उप्पण्णणरायाए धूयाए कारिओ स रयणीए । पाणिग्गहणं तत्तो गिजइ वाइजए धणियं ॥३८॥ रन्नोऽवि तयं कहियं वक्कलचीरी जहा अरन्नम्मि । अम्हेहिं सह विउत्तो पियरेण य भमइ रन्नम्मि ॥३९ तत्तो य अइमहंतं दुक्खं जायं पभायसमए य । हक्कारिऊण भणिया गणिया कुविएण नरवइणा ॥४० मह एरिसम्मि दुक्खे नूणं तुम्हं मणोरहा पुन्ना । जं एवं वाइजइ गाइजइ हट्टतुट्ठहिं ॥४१॥ तो तीए भीयाए कहियं नेमित्तियाइवयणं से । तावसकुमरस्स य आगमाइ परिसाहियं सव्वं ॥४२॥ देवस्स कुमरदुक्खं अम्हेहिं न जाणियं तओ खमह । पुचि पिजेहिं दिट्ठो ते रन्ना पेसिया पुरिसा॥ पचभिनाउं तेहिं वि आणीओ सह वह्नए सो तेहिं । आलिंगिओ य रन्ना सहरिसमद्धासणे ठविओ॥४४॥ अन्नाणं पि हु नरवइयाणं गाहिओ तओ पाणिं । जुवरायपए ठविओ भंजइ विउले इमो भोए॥४५॥ एत्तो य तविओए पिउणो रोवंतयस्स अच्छीणि । अंतरियाई नीलीए तह जह पेच्छइ न किं पि ॥४६॥ संवच्छरेसु तत्तो गएसु बारससु रयणिविरमंमि । वक्कलचीरी कमवि पियरं सरिऊण झूरेइ ॥४७॥ मोयावेइ नरिंदं सो पभणइ जुगवमेव वच्चामो । महईसामग्गीए गया तओ दोऽवि पिउपासे ॥४८॥ विहियपणामा लग्गा चलणेसु जाव ताव कुलवइणो । पुत्ते परामुसंतस्स गरुयआणंदसलिलेण ॥४९॥ अच्छीहितो नीली नट्ठा तो पेच्छए इमो सव्वं । पुच्छइ पसन्नचंदं सव्वेसिं कुसलवत्ताई ॥५०॥ ॥१९॥
SR No.010801
Book TitleBhav Bhavna Prakaranam Part 02
Original Sutra AuthorN/A
AuthorSubodhchandra Nanalal Shah
PublisherGangabai Jain Charitable Trust Mumbai
Publication Year1986
Total Pages516
LanguageSanskrit
ClassificationManuscript
File Size19 MB
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