SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 437
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ भवभावना प्रकरणे तह वि ह खत्तियवित्तिं अणुयत्तंतो न तत्थ विणियत्तो। जुज्झइ विजयनरिंदो जाओ य खणेण बिरलवलो ॥१३॥ भिन्नो य सत्यघाएहिं जाणिउं तो अवस्समरियव्वं । निहारावइ हत्थि बाहिं संगामभूमीओ॥१४॥ ओयरिउं तो हेहा काउं सो पंचमुट्ठियं लोयं । संवरिउणं च तहा आसवदाराई सवाई ॥१५॥ थाणु व्व उद्धदेहो काउसग्गम्मि ठाइ सो तत्थ । पचक्खेउं सिद्धाइसक्खियं सयलसावजं ॥१६॥ देहगलमाणसोणियगंधायरिसियपिवीलियगणेहिं । वजमुहेहिं विभिन्नो विहिओ सो चालणिसरिच्छो॥ संवेयमुव्वहंतो भावंतो भावणं विसुद्धमणो । सयलत्थनिप्पिवासो अमुच्छिओ निययदेहम्मि ॥१८॥ सत्तमदिवसे मुक्को पाणेहिं समं समग्गकम्मेहिं । पावियकेवलनाणो सिद्धो होऊण अंतगडो ॥१९॥ सोऊण वइयरमिमं पलाइउं सीलरक्खणनिमित्तं । गंतं अन्नत्थ वयं पडिवजइ चंदलेहा वि ॥२०॥ ॥ इति विजयनरेन्द्राख्यानकं समाप्तम् ॥ आश्रवद्वाराणां निरोधे विजयनरेन्द्राख्यानकम् अथ चिलातीपुत्राख्यानकमुच्यतेधिज्जाइएण केणइ कया पइन्ना जहा ममं वाए | जो जिणइ तस्स सीसो भवामि इय विजगब्वेण ॥१॥ 1. ॥४०६॥ 120
SR No.010801
Book TitleBhav Bhavna Prakaranam Part 02
Original Sutra AuthorN/A
AuthorSubodhchandra Nanalal Shah
PublisherGangabai Jain Charitable Trust Mumbai
Publication Year1986
Total Pages516
LanguageSanskrit
ClassificationManuscript
File Size19 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy