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________________ भवभावना प्रकरणे इचाइ निसामे मुणिवरवयणाई गरुयसंवेयं । उव्वहमाणा तिन्नि वि अवितहमेयं ति मन्नंता ॥३६॥ गंगदत्तेन नियवइयरं मुणीणं साहेउं सयलदुक्खनिद्दलणं । पव्वजं ताणं पि हु पासे सम्म पवजति ॥३७॥ कृतस्य अचिरेण वि कालेणं सुत्तं पढिऊण हंति गीयत्था। मासाओ मासाओ तिन्नि वि पारेति तो धीरा ॥३८ निदानस्य इय उग्गतवचरणं कुणनि ते तत्थ बहुयवासाई । केवलनाणं संपाविऊण सिद्धिं गओ जणओ ॥३९॥ वर्णनम् पुत्ता य पुणो दोन्नि वि विहिणा संलेहणं विहेऊण । अनियाणो ललियंगो चिट्ठ पाओवगमणम्मि ।।। चिंतइ य गंगदत्तो आजम्माओ वि निययदोहग्गं । जाओऽहमेत्थ जम्मे जं किर माऊइ वि अणिहो॥ इच्चाइ चिंतिऊणं कुणइ नियाणं तवस्स एयस्स | जड़ दुक्करस्स फलमस्थि मज्झ होज्जामि ता अहयं ॥ इहो सब्वस्स वि परभवम्मि काऊण दो वि तो कालं । कप्पम्मि महासुक्के महिड्रिया सुरवरा जाया ॥४३॥ भोत्तूण दिवभोए चविउ ललियंगओ इहं भरहे । रोहिणीगम्भप्पभवो वसुदेवसुओ समुप्पन्नो ॥४४ १, गम्भम्मि देवईए तस्स सुओ होइ गंगदत्तो वि । बलदेववासुदेवा जाया जह दोऽवि ते कमसो ॥४५॥ तह पुब्बि पि हु कहियं सवित्थरं नेमिनाहचरियम्मि | एवं कयाकओ दुक्खसुहफलो होइ जीववहो ॥ ॥ इति अकृत्यनिर्वतितप्राणातिपातगुणदोषयोललिताङ्गगङ्गदत्ताख्यानकं समाप्तम् ।। ॥ ३८४॥
SR No.010801
Book TitleBhav Bhavna Prakaranam Part 02
Original Sutra AuthorN/A
AuthorSubodhchandra Nanalal Shah
PublisherGangabai Jain Charitable Trust Mumbai
Publication Year1986
Total Pages516
LanguageSanskrit
ClassificationManuscript
File Size19 MB
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