SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 404
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ संताविओ इमेणं सज्जेण वि संपयं तु उम्मत्तो । जाओ इमो महंतं तस्सुव्वेयं मणे काही ||२५|| तम्हा अडवीए चिय एवं चड्ऊण तत्थ वच्चामो । पुट्ठा य सेट्टिणा अन्नमुत्तरं किं पि काहामो ||२६|| तत्तो तह चैव कयं इमेहिं इयरोऽवि तम्मि रन्नम्मि । हिंडइ ठिओ गहिलो पुप्फफलाईहिं तणुवित्तिं ॥ कुणमाणो सहयाराइतरुवरे पेच्छ्रमाणओ पवरे । अह अन्नया य जीसे पडिछंदे सुत्तहारेहिं ॥ २८ ॥ विहिया सा पुतलिया सा रायसुया सयंवरा नगरे । विजयउरे वच्चंती विस्संभररायतणयस्स ॥ २९ ॥ भवियत्र्वयावसेणं आवासइ तम्मि चेव ठाणम्मि । कुमरीहि समं कीलं कुणमाणी तेण सा दिट्ठा ||३०|| तो तं निरिक्खमाणो तरलक्खो चिट्ठए अणिमिसच्छो । Ras जहिं जहिं चि एसा अणुवयइ तत्थ इमो ॥ ३१ ॥ | अह जाव गया एसा भोयणवेलाए निययआवासे | चिट्ठइ य भुंजमाणी इयरोऽवि हु ता गओ तत्थ ॥ | चिट्ठा निरिक्खमाणो भुजंतिं उट्ठियं निसन्नं वा । चंक्रम्मंतिं सेज्जाठियं च तो रायपुरिसेहिं ॥ ३३ ॥ | उग्गिण्णजट्टिमुट्ठीहिं हक्कओ जा न वच्चए कह वि । ता बद्धो मुको पुण तहडिओ पेक्खिओ निहओ ॥ मरिऊण य सलभत्तं पुणो पुणो पाविऊण दणम्मि । पडिऊण मओ बहुसो भमिही भवसायरमणतं ॥ ॥ इति चक्षुरिंद्रियविपाके श्रेष्ठिसुताख्यानकं समाप्तम् ॥ ३२ 11 303 11
SR No.010801
Book TitleBhav Bhavna Prakaranam Part 02
Original Sutra AuthorN/A
AuthorSubodhchandra Nanalal Shah
PublisherGangabai Jain Charitable Trust Mumbai
Publication Year1986
Total Pages516
LanguageSanskrit
ClassificationManuscript
File Size19 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy