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________________ | पइ समं तेण य उदयसंदरो नाम सालओ कुमरो । पत्तो य तो कमेणं वसंतगिरिसेलसन्नेझे ॥५॥ दिवो य तत्थ साहू सिलायले कत्थई विसालम्मि । सूराभिमुहो आयावयंतओ उड्ढवाहाहिं ॥६॥ तो भणइ वजबाहू एसो चिय मुणिवरो जए धन्नो । जो चत्तसव्वसंगो तवतणुयंगो जियाणंगो ॥७॥ अणुचरइ तवं विउलं चिट्ठइ परमक्खरंमि संलीणो । संसारभावमुक्को सज्झाणपरायणो एवं ॥८॥ अह उदयसुंदरेणं भणियं हासेण किं तुमं पि इहं । पञ्चइहिसि जं साहुं सयण्हमेवं पसंसेसि ? ॥९॥ अह भणइ वजबाहू धरेमि चित्तम्मि आह तो इयरो । अयं पितुज्झ बीओ करेसि जइ ता तुमं च इमं ॥१०॥ तो आह वजबाह सुमरेजसु मा य तं विसंवयसि । इच्चाइ जंपिऊणं दो वि गया साहुपासम्मि ॥११॥ कहिओ य तेण धम्मो तेसिं संवेयसारसंजणओ | पञ्चयइ वजवाहू मणोरमाए समं तत्तो ॥१२॥ छब्बीसई कुमारा अन्ने वि हु उदयसुंदरप्पमुहा । गिण्हंति वयं पासे अइसयनाणिस्स तस्सेव ॥१३॥ तं विजयनिवो सोउं चिंतइ जरजजरीकयतणू वि । चिट्ठामि अहं एवं बालोण वि तेण तह विहियं ॥१४|| रज्जे पुरंदरं ठाविऊण तो सोऽवि गिण्हए दिक्खं । रजं पुरंदरस्स वि परिवालंतस्स कालेण ॥१५॥ कित्तिधरो नाम सुओ संजाओ तस्स दिन्नरजभरो । पडिवज्जइ पव्वजं पुरंदरोऽवि हु पुहइनाहो ॥१६॥
SR No.010801
Book TitleBhav Bhavna Prakaranam Part 02
Original Sutra AuthorN/A
AuthorSubodhchandra Nanalal Shah
PublisherGangabai Jain Charitable Trust Mumbai
Publication Year1986
Total Pages516
LanguageSanskrit
ClassificationManuscript
File Size19 MB
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