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________________ अंधा बहिरा टुटा परसंतावेण हुंति मणुएसु । देवेसु वि दोहग्गं किब्बिसयत्ताइ पावंति ॥२४॥ इय पावकारिणो परिभमंति पुणरुत्तमेव भवचक्के । दुक्खेहिं अणंतेहिं तिब्वेहिं सया न मुचंति ॥२५॥ तो कालो परिचिंतइ अजवि थेवाइं पावठाणाई । कहियाई मह इमेहिं विहियाई पुण अणेगाइं ॥२६॥ तो नरए गंतव्वं मए अवस्सं ति चिंति भणइ । कह पुण नरगाइसु न य गम्मए ? तो भणंति गुरू ॥ जह धिप्पइ जिणदिक्खा कम्मवणावलिहुयासजालोली । भवजलदववुट्ठी इव तो कालो भणइ तं मज्झ ॥२८॥ तब्भे देह त्ति तओ णाणेणऽवलोइउं गुरू भणइ । मा पडिबंधं कुव्वह अम्मापियरे विमोएवं ॥२९॥ तो कालेणं कहिए राया चिंतेइ ओसहेण विणा । एसो वाही वच्चइ धणियं उच्छाहिओ तत्तो ॥३०॥ जणणी तओ न मंचइ निबंधेणं विलग्गिउं तं पि । मोयाविऊण कालो पब्वइओ ताण पासंमि ॥३१॥ गीयत्थो संजाओ एगल्लविहारपडिममह एसो । पडिवजइ कालेणं विहरंतो गामनगरेसु ॥३२॥ नयरम्मि मुग्गसेले गओ तहिं नरवई य जियसत्तू । तस्स चिय अग्गमहिसी भगिणी एयस्स साहुस्स ॥३३॥ तो रायादीणि चिय गयाइं तव्वंदणत्थमह कह वि । देवीए नायाओ अरिसाओ तस्स साहस्स ॥३४॥ ॥ २९७॥
SR No.010801
Book TitleBhav Bhavna Prakaranam Part 02
Original Sutra AuthorN/A
AuthorSubodhchandra Nanalal Shah
PublisherGangabai Jain Charitable Trust Mumbai
Publication Year1986
Total Pages516
LanguageSanskrit
ClassificationManuscript
File Size19 MB
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