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________________ भवभावना प्रकरणे दहू अह तीए समं राया चिट्टा ओलोयणमि कइया वि । एत्तो य दुज्जणेण व लोयं गिम्हेण संतवियं ॥४॥ सजणो इव पाउसकालो महीइ अवयरिओ । आसासंतो लोयं सुवईहिं व नीरधाराहिं ॥५॥ आसा सिऊण लोयं सयलं पि महापयावपरिकलियं । हंतूण व गिम्हरिडं धीरं गज्जंति तत्थ घणा ॥६॥ कसिणभुयंगस्स व जस्स डसिउकामस्स विरहिणीवग्गं । जीहाउ व सव्वत्तो समं चमकंति विज्जूओ ॥ पसमिय संतावोऽवि हु जो देतो विरहिणीण संतावं । एगसहावं वत्थं नत्थि च्चिय कहइ लोयम्मि ॥८॥ नन्नए वि समं वरिसंतेहिं घणेहिं अणवरयं । साहिज्जइ समरूवा समुन्नया होंति सञ्चस्स ॥९॥ नीयंगमाहिं बहुजडजुयाहिं उम्मग्गपत्थियाहिं च । भजंति जत्थ मग्गा कुसीलमहिलाहिं व नईहिं ॥ अइगरुयपयावोऽवि हु पच्छाइजर घणेहिं जत्थ रवी । अह्वा कालवसेणं मलिणाण वि फुरइ माहप्पं ॥ उन्नयपओहरेसुं पाउसलच्छीए हारलइय व्व । रेहइ बलायपंती घोलंती मणहरा जत्थ ॥ १२ ॥ धाराकयं गंधो नवमालइ उलपरिमलुम्मीसो । कामुयमणेसु मयणं दीवंतो भमइ सव्वत्थ ॥ १३ ॥ नचंति सिहंडिगणा पामरवग्गो य पमुइओ भमइ । रमणिजा सव्वत्तो उभिन्ननवकुरा पुई ॥ १४॥ तंमि अलक्खियंजलथलविसेस भावम्मि पाउसे राया। देवीइ समं पेच्छइ अवलोयंतो नयरबाहिं ॥ १५॥ पूरागयसरियाए वह माणीए महंतकट्टाई | अवकरिसियकूलाए दिट्टीइ वि दुरवलोयाए ॥१६॥ NEANBANDENBANDANDANSANDR विद्यमाने धनेऽपि दुःख तस्य मम्मणवणिजः कथा ॥ २२६ ॥
SR No.010801
Book TitleBhav Bhavna Prakaranam Part 02
Original Sutra AuthorN/A
AuthorSubodhchandra Nanalal Shah
PublisherGangabai Jain Charitable Trust Mumbai
Publication Year1986
Total Pages516
LanguageSanskrit
ClassificationManuscript
File Size19 MB
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