SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 159
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ भवविना करणे भवं तु महावीरो वारंतस्स वि समग्गगामस्स । प्यारयस्स य तहा बोहिं नाऊण एयस्स ॥३०॥ निययसरी रुवसग्गे जाणतोऽवि हु ठिओ तहिं गंतुं । रयणीए तो जक्खो कुविओ अट्टहासेण ॥ ३१ ॥ खोइ जाव न खुभइ तो हत्थिपिसाय सप्परूवेहिं । तह उवसग्गइ दुट्ठो जह तीरइ नेव कहिउं पि ॥ तह वि हु न चलइ झाणाओ जाव ता तिव्वसत्तवियणाओ । सत्तसु ठाणेसु करे इक्कमेकं पि जीयहरिं ॥ ३३ ॥ सिरकन्ननासदंतेसु अच्छिपट्टीसु तह नहेसुं च । ताहिं पि जाव न चलइ भयवं झाणाओ ता एसो ॥ पासु निवडणं पुणो पुणो तं खमेइ उवसंतो । सिद्धत्थेण य कहियं धम्मं सोऊण पडिबुद्धो || ३५॥ पडिवज्जइ सम्मत्तं मारिं परिहरइ तद्दिणप्पभि । गंधोदयकुसुमेहिं वरिसइ भत्तीइ जिणपुरतो ॥ ३६ ॥ चाएइ दुंदुहिं तह करेइ गीयं मणोहरं तुट्टो । गलगजिसीहनायं च मुयइ तो तत्थ काऊण ॥३७॥ पढमं वासारत्तं भयवं विहरति इमाओ ठाणाओ | मोरायसन्निवेसे तो वच्चइ सयलसुरमहिओ ||३८|| ॥ इति धनदेववृषभाख्यानकं समाप्तम् ॥ -fee तिरवां दुःखे धनदेव वृषभाख्यानकम् ॥ १३२ ॥
SR No.010801
Book TitleBhav Bhavna Prakaranam Part 02
Original Sutra AuthorN/A
AuthorSubodhchandra Nanalal Shah
PublisherGangabai Jain Charitable Trust Mumbai
Publication Year1986
Total Pages516
LanguageSanskrit
ClassificationManuscript
File Size19 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy