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________________ अह रिद्धी सव्वा वि हु गहिया सा तीइ देवदिन्नस्स । दासो य इमो विहिओ कुणइ कुकम्माई तग्गेहे ||४४|| चिन्तेइ देवदिन्नो तो रिद्धी मह गया इमा ताव । पाणेहिं वि गंतव्वं इहई चिय सरणरहियस्स || ४५ || नय कोsवि परित्ताणे एत्थ समत्थो समग्गपुहईए। तह वि कहावेमि इमं जहवत्तं ताव नियपिउणो । तत्तो लिहिउं लेहो सवित्थरो तेण पेसिओ पिउणो । तद्दंसणे य एसो लग्गो धाहाहिं पलवेडं ॥४७॥ पु सरस्सईए किंताय ! इमं ति ? तेण तो कहियं । सव्वं पि जहावत्तं तो भणियं तीइ जड़ एवं ॥ तो वीसत्या चिट्ठह तुम्भे मोयाविडं अहं एमि । आनंदिएण तेणं अह विहिया तीइ सामग्गी ॥ ४९ ॥ तत्तो कयाणगाणं भरिऊणं पवहणं पुरिसवेसं । काऊण गया एसा नीसेसनवलपरिवारा ॥ ५० ॥ पत्ता पारसकूलं तह चैव य सोय भेटिओ राया । पव्वाइया य बवहारिओ त्ति आमंतिओ तेण । ५१ । कयमओsa य डोवो तस्सावासे थवाविओ तह य । हेराविओ य एओ सरस्सईए वि पच्छन्नं ॥५२॥ अह तीइ गिहे भोत्तुं सरस्सईए समागयाए उ । रयणीए तीइ घरे अइगुरुगुड्डह्यअंबिलिए ॥५३॥ एसो खिवाविओ तो पभायसमयम्मि राज्लदुवारे । संजायमि विवाए विहियपइन्नाइ तह चेव ||५४ || धरि सक्खिणेसुं गयाई सव्वाई तस्स आवासे । पव्वाइया पलोयइ डोयं कत्थइ न पेच्छेइ ॥५५॥ ।। १२५ ।।
SR No.010801
Book TitleBhav Bhavna Prakaranam Part 02
Original Sutra AuthorN/A
AuthorSubodhchandra Nanalal Shah
PublisherGangabai Jain Charitable Trust Mumbai
Publication Year1986
Total Pages516
LanguageSanskrit
ClassificationManuscript
File Size19 MB
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