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________________ तो चित्तमइसमेओ राया रजम्मि सुंदरं ठविउं । पव्वजं पडिवज्जइ गम्भोऽवि हु वडइ कमेण ॥११॥ | अन्नम्मि दिणे देवी विजया पसवेइ दारयं पवरं । तो सुंदरो करावइ वद्धावणयं पुरे सयले ॥१२॥ | अह चिंतइ एएणं डसिओ किर कुंजरोत्ति जणणीए । सुमिणे दिलु तम्हा एयस्स वि कुंजरो नाम ॥१३॥ ठाविजउ अप्पं चिय जं डसइ ण पहवए य अन्नस्स | इय चिंनिऊण ठवियं बारसमदिणे इमं नामं ।१४ अणुदियह तो बड्इ कुंजरकुमरो तयं तु पुण रज | पालइ सुंदरराया संपुन्ने जाव छुम्मासे ॥१५॥ सामंतमंतिपउरे मेलेउं तो करेइ अहिसेयं । तस्स समप्पइ य तयं एयाणं आयरेणेसो ॥१६॥ पभणइ य तस्स माउलयवग्गमेएण भाइणेजेण | नियएण सह भलेजह पञ्चज्जमहं तु घेच्छामि ॥१७॥ इय रजं संठविउं गओ तहिं जत्थ विहरण देसे । सीहगिरी रायरिसी ता तग्गुरुणो सयासम्मि ॥१८॥ जिणदिक्खं गिण्हइ सुंदरोऽवि अह सो पवड्ढइ कमेण | कुंजरराया तत्तो संपत्तो जोव्वणं तस्स ॥१९॥ S अभिओगकम्मवद्धो सिरिओ नामेण किर महाणसिओ । सो बाहिं पट्टविउं पावनरे अइपभूए वि ।२०। माराविऊण हरिण सूयरससए य संबरे रोज्झे । लावयतित्तिरपमुहे आणावह पइदिणं चेव ॥२१॥ अह तेसिं मंसाई उवक्वडेऊण परमजत्तेण । सिंधवसंठीपिप्पिलिमिरिएहिं भाविऊणं च ॥२२॥ देइ नरिंदस्स तहा अलयरसभावियाई काई पि । काऊण देइ तत्तो वन्नंतो भंजए गिद्धो ॥२३॥
SR No.010801
Book TitleBhav Bhavna Prakaranam Part 02
Original Sutra AuthorN/A
AuthorSubodhchandra Nanalal Shah
PublisherGangabai Jain Charitable Trust Mumbai
Publication Year1986
Total Pages516
LanguageSanskrit
ClassificationManuscript
File Size19 MB
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