SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 252
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ VfiniRIRANPURsunnnndrararurareer पर विकलप सुख दुख नहीं, अनुभव निज आनन्द । जन्म मरण विधि नाशकर, राजत शिवसुख कंद।२६५॥ ॐ ह्री सूरिमोक्षम्वरूपाय नम अध्यं ।। जहां न दुखको लेश है, उदय कर्म अनुसार। जो शिवपद पायो महा, नमू भक्ति उर धार ॥२६६॥ ॐ ह्री सूरिमोक्षगुणाय नम अध्यं । जो शिव सुगुरण प्रसिद्ध है, तिनसों नित्त प्रबन्ध । जे जगवास विलास दुख, तिन नम्ब न्ध ॥२६॥ ॐ ह्री सूरिमोक्षानुबधाय नम अयं । जैसी निज तन प्राकृती, तज कोनो शिवास । ते तैसै नित अचल है, ज्ञानानन्द प्रकाश ॥२६॥ ॐ ह्रो सूरिमोक्षानुप्रकाशाय नम अध्यं । क्षयोपशम परिणाम कर, साधे न जिनका रूप । वा निजपदमें लीनता, ये ही गुप्त स्वरूप ॥२६६॥ ॐ ह्री सूरिस्वरूपगुप्तये नम अध्यं । सप्तमी २१८
SR No.010799
Book TitleSiddhachakra Vidhan
Original Sutra AuthorN/A
AuthorSantlal Pandit
PublisherVeer Pustak Bhandar Jaipur
Publication Year
Total Pages442
LanguageSanskrit
ClassificationManuscript, Ritual, & Vidhi
File Size10 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy