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________________ सिख०६ वि० २०१ संस अंश भान वस्तु भावको प्रकाशमान। . ज्ञान इन्द्रियानिन्द्रिया कहै उभै प्रमाण ॥ सूरि धर्मको प्रकाश सिद्ध धर्म रूप जान ।। __ मै नम त्रिकाल एक ही अभेद पक्षमान ॥२१३॥ ॐ ह्री सूरिज्ञानमगलेभ्यो नम अयं । लोक उत्तमा सु वसु कर्मको प्रसंग टार। शुद्ध बुद्ध रिद्ध पाय लोक वेदना निवार । सूरि धर्मको प्रकाश सिद्ध धर्म रूप जान । मै नमत्रिकाल एक ही अभेद पक्षमान ॥२१४॥ ___ॐ ह्री सूरिलोकोत्तमेभ्यो नम. अध्यं । लोकभीत सो अतीत आदि अन्त एक रूप । लोकमें प्रसिद्ध सर्व भावको अनूप भूप । सरि धर्मको प्रकाश सिद्ध धर्म रूप जान । मै नमूत्रिकाल एक ही अभेद पक्षमान ॥२१॥ . . ॐ'ह्री सूरिज्ञानलोकोत्तमेभ्यो नम. अध्यं । wwwwwmaanwaeywwwwwww सप्तमी Puruwisomnuamnurmusur ५ १ २०१
SR No.010799
Book TitleSiddhachakra Vidhan
Original Sutra AuthorN/A
AuthorSantlal Pandit
PublisherVeer Pustak Bhandar Jaipur
Publication Year
Total Pages442
LanguageSanskrit
ClassificationManuscript, Ritual, & Vidhi
File Size10 MB
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