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________________ सिद्ध वि० PIRNOON. ॐ ह्री कठिनस्पर्शरहिताय नम अध्यं । फर्स विशेष न भार है, नामकर्म तन, धार ॥स्वच्छ०॥१०॥ ____ॐ ह्री गुरुस्पर्शरहिताय नमः अध्यं । फर्स विशेष न अगुरु है, नामकर्म तन धार ॥स्वच्छ०॥१०६॥ ____ॐ ह्री लघुस्पर्शरहिताय नम अध्यं । फर्स विशेष न शीत है, नामकर्म तन धार ॥स्वच्छ०॥११०॥ 'ॐ ह्री शीतस्पर्शरहिताय नम अयं । फर्स विशेष न उष्ण है, नामकर्म तन धार ॥स्वच्छ०॥१११॥ ___ॐ ह्री उष्णस्पर्शरहिताय नम अध्यं । फर्स विशेष न चिकरण है, नामकर्म तन धार ॥स्वच्छ॥११२॥ ॐ ह्री स्निग्धस्पर्शरहिताय नम अध्यं । फर्स विशेष न रूक्ष है, नामकर्म तन धार ॥स्वच्छ०॥११३॥ ॐ ह्री रूक्षस्पर्शरहिताय नम अध्यं ।। छंद मरहठा--हो जो प्रजाप्त वर परणइन्द्रीधर जाय नर्क निरधार, विग्रहसु चाल मे अंतराल मे धरै पूर्व आकार । सो नर्क मानकरि गावत गणधर आनुपूर्वी सार। पचम unnnnnnwroom पूजा ११७
SR No.010799
Book TitleSiddhachakra Vidhan
Original Sutra AuthorN/A
AuthorSantlal Pandit
PublisherVeer Pustak Bhandar Jaipur
Publication Year
Total Pages442
LanguageSanskrit
ClassificationManuscript, Ritual, & Vidhi
File Size10 MB
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