SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 285
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ उद्देसमो.. ॥९॥ - पवहार० भावार्य ॥१४॥ सेजांतरना सगा होय, सेजांतस्ना जुदा जुदा घरने विपे एक दरवाजो छे, एक नीकळवा पेसवानो मार्ग ॥१३०|| छे, सेजांतरना घरमां जूदा जूदा रांधवाना चला छे ने सेजांतरना उपर जे सगानी भाजीविका चाले छे तेमांथी आहार आपे तो साधुने लेवो कल्पे नहिं ॥ १४ ॥ अर्थ ॥१५॥ सा० सेजांतरना । ना० स्वजन । सि० होय । सा० सेजांतरना। अ० जुदा जुदा । व० घरने विषे । एक एक । दु० बारणांने विषे । ए० एक । निकनीकळवा । १० पेसवानो मार्ग छे। बाबाहार सेजांतरनो । ए० एकज । प० रांधवानो चुलो छ । सा० सेजांतर । च० बळी उपर । उ० जेनी आजीविका छे । त। तेमांथी । दा०.दीए तो। नो० ४न । से० ते साधुने । क० कल्पे आहार । प० लेवो ॥१५॥ मूळपाठ ॥ १५॥ सारियनायए सिया सारियस्स अनिनिष्वगमाए एगदुवाराए एगनि क्खमणपवेसाए वाहिं एगपयाए सारियं चोवजीवश्, तम्हा दावए, नो से क प्पइ पनिगाहेत्तए ॥१५॥ ___ भावार्थ ॥ १५ ॥ सेजांतरना स्वजन होय सेजांतरना जुदा जुदा घर माहे एक बारणुं छे, एकज नीकळवा पेसवानो मागे छे, बहार सेजांतरनो एकज रांधवानो चलो छे. सेजांतरना उपर जे सगावहाकानी आजीविका चाले छे तेमांथी आहार दीए तो ते साधुने लेवो कल्पे नहि ॥ १५ ॥ . ॥१३०॥
SR No.010798
Book TitleAgam 36 Chhed 03 Vyavahara Sutra
Original Sutra AuthorN/A
Author
PublisherZZZ Unknown
Publication Year
Total Pages398
LanguagePrakrit
ClassificationManuscript, Agam, Canon, & agam_vyavahara
File Size14 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy