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________________ * * मूळपाठ ॥ १३ ॥ सारियनायए सिया सारियस्स अनिनिवगमाए एगवाराए एगनिक्ख मणपवेसाए अन्तो एगपयाए सारियं चोवजीवइ, तम्हा दावए, नो से कप्पर पमिगाहेत्तए ॥ १३ ॥ भावार्थ ॥ १३ ॥ सेजांतरना सगां होय, सेज्यांतरना जुदा जुदा घरने विषे एक वारणुं छे, एकज नीकळवानो तथा एकज' पेसवानो मार्ग है, सेजांतरना घरमांहि रांधवानो एकज चूलो छे ने सेजांतरना उपर जेनी आजीविका छे तेमांथी आपे तो ते साधने आहार वोहोरवो कल्पे नहिं ॥ १३ ॥ ___अर्थ ॥ १४ ॥ सा० सेनांतरना । ना० स्वजन नातिला । सि० होय । सा० सेजांतरना । अ० जुदा जुदा । ५० घरने | विपे । ए० एक । दु० कारणु छे । ए० एक । नि० निकळवानो । १० पेसवानो मार्ग छे । अं० मांहि सेजांतरना घर मांहि । अ० जुदा जुदा । प० रांधवाना चुला है । सा० सेजांतरना उपर । च० वळी । उ० तेनी आजीविका छे । त० तेमांयी। दा० आपेतो । नो० न । से० ते साधुने । क० कल्पे । प० लेबी ॥१४॥ मूळपाठ ॥ १४ ॥ सारियनायए सिया सारियस्स अभिनिवगमाए एगदुवाराए एगनि क्खमणपसाए अन्तो अनिनिपयाए सारियं चोवजीवश्, तम्हा दावए, नो से कप्पइ पनिगाहेत्तए ॥ १४ ॥
SR No.010798
Book TitleAgam 36 Chhed 03 Vyavahara Sutra
Original Sutra AuthorN/A
Author
PublisherZZZ Unknown
Publication Year
Total Pages398
LanguagePrakrit
ClassificationManuscript, Agam, Canon, & agam_vyavahara
File Size14 MB
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