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________________ श्रीमतीसोमाहरणप्र० शपदे श्रीउपदे- परिपेल्लिओ तिलाणुवरि । पडिओ समुट्ठिएणं तणुलग्गतिलो गिहम्मि गओ ॥ २०७॥ तत्तो जणणीए तिले पप्फोडिय मोरअंडयं काउं । दिण्णो तल्लद्धो सो दिणे २ तं तहा कुणइ ॥ २०८॥ मोरंडगेसु लुद्धो तेण पगारेण पइदिणं हरइ । तिलनियरमहन्नपि य पइदिवसं चोरि लग्गो ॥ २०९ ॥ आरक्खिएहिं लद्धो गहिओ जणणीए एस किल दोसो । जीए ॥२७८॥ निसिद्धो तिलतिण्णतप्परो पढमओ णाहं ॥२१०॥ इय अमरिसंवहंतेण तेण खद्धं थणस्स जणणीए । खंड तलारलोया जाओ ६ य विलुत्तकरचरणो ॥ २११॥ दिढे तम्मि विचारे जाओ जह चोरया अहो रुद्दा । तेसिं सोमाए तबयम्मि चागस्स पडि सेहो ॥ २१२ ॥ तत्तो थेवपएसे गएहिं दिट्ठा महेलिगा एगा । विणिवाइयभत्तारा खिंसिजती पुरजणेण ॥ २१३ ॥ किल कत्थई पएसे कुले महंतम्मि काइ तरुणतणू । आसि महेला चवलत्तणेण पविलुत्तकुलसीला ॥ २१४ ॥ नियगेहे घोडगरक्खगेण निच्चंपि दिस्समाणेणं । भासिज्जतेण तहा सद्धिं संबंधमणुपत्ता ॥ २१५ ॥ अवहीरिओ नियपई भिन्ना कुलसीलसंभवा लज्जा । सज्जीको तहप्पा दुहाण इहपरभवगयाण ॥ २१६ ॥ अग्गी जह दारूणं जहा समुदो णईसहस्साण । णो तित्तिमेइ विहडियमणा तहित्थी णराणंति ॥ २१७ ॥णारीणं णत्थि पिओ णयापिओ कोइ जह तणं रणे । गावीओ नवा उ नवं इच्छंति इमाओ तह पुरिसं ॥२१८ ॥ तो तीए तम्मि लुद्धाए नियपई विग्यकारगो णाउं । सुत्तो व पमत्तो हैं वा पइरिके निहणमाणीओ ॥ २१९ ॥ खंडीकाऊण कओ पिडियाए तप्परिट्ठवणहे । सीसारोवियपिडिया विणिग्गया जा गिहाओ तओ ॥२२०॥ कहवि कुलदेवयाए कुलरक्खानिविडनिहियचित्ताए। दिवा रुवाए सिरम्मि जोइया तीए सा पिडिया ॥ २२१॥ अणवरयझरंतवसारुहिरविलुपिज्जमाणसबंगा। उबिग्गमणा णियकम्मलजिया जाइ जा अडविं SERRORECASTEGORORSCOM KUSHUSUSASTRESS ॥२७८॥
SR No.010796
Book TitleUpdeshpad Mahagranth Part 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorPratapvijay
PublisherMuktikamal Jain Mohan Mala
Publication Year1979
Total Pages1008
LanguageSanskrit
ClassificationManuscript
File Size45 MB
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