SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 655
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ धम्माणं जणम्मि रूढाणणेगर्भयाणं ? । (गणिनी-)जं जीवाणं तसथावराण विहिणा दयाकरणं ॥ २५४ ॥ (सोमा-पि-11 यमंगमाझ्याणं मोखाणं तिहयणम्मि किं सोक्ख? । (गणिनी-जं जरकोटाईणं वाहीणमसंभवो देहे ॥२५५।। 18(मोमा-दय भामणभोयणवसणदाणमाईण को भवो नेहो? । (गणिनी-जमवंचणं परोप्परमइणिउणं सबकज्जेसु ॥५६॥ (सोमा-)यह सत्यम्भासाइसु किं भण्णइ पंडियत्तणं लोए? (गणिनी-अप्पसुयाणवि पुरिसाण होइ जं शनिच्छओ कजे ॥२५७ ॥ (सोमा-) किं दुकरं मुणेउंगनिवनारीजणाइचरिएसु? । (गणिनी)अइविसरिसविहवससं घडत-15 विहांत कन्नगई ।। २५८॥ (सोमा-सोहग्गविहवभूसणवरभोयणपमुहवत्थुसु वरं किं । (गणिनी-जो तारा पुंजुज्जहालगुणाण लोए समुग्घाडो ॥ २५ ॥ (सोमा-) को बंधवाइयाणं विहियपियाणं जणाण सुहगेज्झो ? । (गणिनी-)आ यारधणाण जणो सुयणो सुहगेज्झओ होइ ॥ २६० ॥ (सोमा-)मंतकरिकुवियपन्नगपमुहाण को णु एत्थ दुग्गेज्झो? 1/31 (गणिनी-)जणियप्पिगोवि बहुसो एसो चिय दुज्जणो लोगो ॥२६१ ॥ (सोमा-)का भन्नए अविज्जा सज्जणलोएण कहम तं अजे? । (गणिनी-सवगुणवणदवग्गी जोहंकारो नराण मणे ॥ २६२॥ (सोमा-कजज्जयाण परिसाण किमिठ सजं भणिजए चक्ख । (गणिनी-सुपसत्थसत्थकहिया जे सुत्तत्था विणीयाण ॥२६३॥ (सोमा-)का लच्छी उभयभवेसु होइ भवियाण भवपरिणामा? । (गणिनी-संतम्मि असंतम्मिवि विहवे संतोसकरणं जं ॥२६४ ॥ (मोमा-फिमिह विसं थावरजंगमाइभेएणिमेसिं भिन्नाणं ? । (गणिनी-)विसयसुहस्सासेवणमसमंजसविहिकयं जमिह । ॥ २६५ ॥ एमाई वहुया पुण पुच्छाउ तहा तदुत्तराईपि । लद्धाई मुद्धजणदुल्लहाई तो ताई जायाइं ॥ २६६ ॥ जिणध
SR No.010796
Book TitleUpdeshpad Mahagranth Part 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorPratapvijay
PublisherMuktikamal Jain Mohan Mala
Publication Year1979
Total Pages1008
LanguageSanskrit
ClassificationManuscript
File Size45 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy