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________________ ad श्रीवज्रस्वामिचरितम् श्रीउपदे- पुवायरियपमुट्ठा गयणंगणगामिणी विज्जा ॥ ३०३॥ उद्धरिया तीय वसा जंभगदेवोवलद्धवसओ य । इच्छासंचारपरो शपदे 9 संजाओ सो महाभागो ॥ ३०४॥ पुवाओ देसाओ अहण्णया उत्तरावह भगवं । विहरंतो संपत्तो दुब्भिक्खं तत्थ सं- जायं ॥ ३०५॥ नो तत्तो निस्सारो लब्भइ अवहतगा पहा जाया। कंठसमागयपाणो भगवंतं भणइ तो संघो ॥३०६॥ १२६॥ तित्थाहिवे तुमम्मिवि कह संघो वरगुणाण संघाओ। अवसट्टोवगओ लहेज मरणं, न जुत्तमिणं ॥ ३०७॥ ताहे पडिविजाए चलिओ संघो समेइ ता जाव । सेजायरो गिहाओ गोचारिकए गओ रन्नं ॥ ३०८ ॥ पासइ ते उप्पइए सिंहलवित्तेण छिंदिओ भणइ । भयवं! अहंपि तुभं बाद साहम्मिओ जाओ ॥ ३०९॥ सोवि लइओ इमं सुयमणुस्सरंतेण संतचित्तेण । सबजियगोयरापारसारकरुणानिहाणेण ॥ ३१०॥ साहम्मियवच्छल्लम्मि उज्जया उज्जया य सज्झाए । चरणकरणेसु य रया तित्थस्स पभावणाए य ॥३११॥ पत्तो पुरियं नामेण नयरिमह दक्षिणावहे तत्थ । अत्थि सुभिक्खं बहुगा य सावगा धणकणसमिद्धा ॥ ३१२ ॥ तवन्नियसड्डाणं अम्हच्चाणं च पाडिसिद्धीए । वड्डइ मल्लारुहणं निए निए चेइयघरम्मि ॥ ३१३ ॥ सवत्थ भिक्खुगाणं सड्डा इयरेहिं परिभविजंति । राया भिक्खुगभत्तो अहन्नया आयए संते ॥३१४ ॥ संवच्छरियम्मि निवो निवारणाकारगो को तेहिं। पुप्फाण पुरे सयले किल चेइयभुवणजोग्गाण ॥ ३१५ ॥ अचंतवाउलमणो जाओ सबो वि सावगो लोगो। ताहे सवालवुडो उवडिओ वइरसामि सो ॥ ३१६ ॥ तुन्भेहिं सामि ! तित्थाहिवेहिं जइ पवयणं लहूहोइ । ता को अन्नो तस्सुन्नईए संपाडगो होजा? ॥३१७॥ एवं बहुप्पयारं भणिओ तस्स-* मयमेवमुप्पइओ। माहेसरि वरपुरि दाहिणकूलम्मि रेवाए ॥ ३१८॥ मालवमंडलमज्झे पत्तो तत्थ य हुयासणगिहम्मि । SURORISTAS DESOSSES ॥१२६॥
SR No.010796
Book TitleUpdeshpad Mahagranth Part 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorPratapvijay
PublisherMuktikamal Jain Mohan Mala
Publication Year1979
Total Pages1008
LanguageSanskrit
ClassificationManuscript
File Size45 MB
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