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________________ श्रीउपदे शपदे ॥११७॥ BOLSOSAS QUE SEOSTARISHA दोवि । कपिल्लाओ गागलि माणित्ता रजमुवणेति ॥ २९ ॥ सो वि य तेसिं नियमाउलाण अइवच्छलाण कारेइ । दोन- श्रीवज्र६. रसहस्सवहणोचियाओ अइपवरसिवियाओ ॥ ३०॥ सीहासणोवरिगया ते तासु पुराउ निक्खमणकाले । विहिउज्जल- स्वामिच नेवत्था सुरचंदणलित्तसबंगा ॥३१॥ उदयगिरिसेहरारूढमुत्तिणो रविससिव रेहति । नियदेहकतिसंभारपूरियासेसदि-5 रितम् सिवलया ॥ ३२॥ अयिनिन्भरपहयपहाणतूररव पूरियंबरा गंतुं । भयवंतपायमूले नमिउंतिपयाहिणा पुर्व ॥३३॥ पव- 6. 8 इया विहिणा सावि जसमई साविया परा जाया। सालमहासालावि य पढिया एक्कारसंगाई॥३४॥ अह अन्नया जय गुरू रायगिहे विहरिउं जओ चंपा । तत्तो लग्गो गंतुं एयावसरम्मि एएहिं ॥ ३५ ॥ विन्नत्तमिमं अम्हे जह पिट्ठीचंपमणुसरामो त्ति । संसारियाण तेसिं न कोइ मा पचइज्ज तहा ॥ ३६॥ सम्मत्तमुवलहेजा सामी जाणाइ नियमओ बोही। होही तेसिं गुरुणा सहायओ गोयमो दिन्नो ॥ ३७॥ भयवं चंपाए गओ गोयमसामीवि पिद्विपाए । भणिओ जिणप्पणीओ धम्मो निसुओ य सो तेहिं ॥ ३८॥ तिन्निवि संवेगजुयाई नंदणं गागलिस्स रजम्मि । ठविऊणमुन्नयमणाणि सबविरई पवन्नाणि ॥ ३९ ॥ ताणि य गोयमसामी घेत्तुं पंथम्मि एइ जा ताहे । सालमहासालाणं हरिसुक्करिसो इमोद ६ जाओ॥ ४०॥ संसाराओ उत्तारियाणि सुद्धे णेमेण भावेण । जायं केवलणाणं चिंता इयरेसिं इय जाया ॥४१॥ रजम्मि पढममम्हे ठविया एहिं संपवइएसु । नो अन्नो उवयारी इमेसि अम्हं भवेज्जत्ति ॥ ४२ ॥ इय सुद्धझाणवसा-5. ऽवसाणपयपाविएसु एएसु । कम्मेसु रम्मरूवं केवलणाणं समुप्पण्णं ॥४३॥ उप्पन्नपुन्नणाणाणि ताणि पत्ताणि भग- ॥११७॥ ६ वओ पासे । चंपापुरीए गुरुमग्गमणुसरंताणि कालेण ॥४४॥ काऊणं तिपयाहिणमभिवंदिय तित्थमह पयट्टाणि । गंतुं
SR No.010796
Book TitleUpdeshpad Mahagranth Part 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorPratapvijay
PublisherMuktikamal Jain Mohan Mala
Publication Year1979
Total Pages1008
LanguageSanskrit
ClassificationManuscript
File Size45 MB
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