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________________ महत्त्वकी प्रश्नोत्तरी ८२७ उत्तर-मूर्खता, जिसमे आत्माके ज्ञान गुणका तिरोभाव हो जाता है। प्रश्न-किनमे सदा उपेक्षाभाव रखना चाहिये ? उत्तर-दुर्जनोमे, परस्त्रियोमे और पराये धनमे । प्रश्न-किसको अपनी प्यारी सहचरी वनाना चाहिये ? उत्तर-दया, चातुरी और मैत्रीको। प्रश्न-कण्ठगत प्राण होने पर भी किसके सुपुर्द अपनेको नही करना चाहिये ? उत्तर-मूर्ख के, विषादयुक्तके, अभिमानीके और कृतघ्नके । प्रश्न-धन होनेपर शोचनीय क्या है ? उत्तर-कृपणता। प्रश्न-धनकी अत्यन्त कमी (निर्धनता ) होनेपर प्रशसनीय क्या है ? उत्तर-उदारता। प्रश्न-चिन्तामणिके समान दुर्लभ क्या है ? उत्तर-प्रियवाक्यसहित दान, गर्वरहित ज्ञान, क्षमायुक्त शूरता और दान सहित लक्ष्मी, ये चार कल्याणकारी चीजें अत्यन्त दुर्लभ हैं 18 अनेकान्त वर्ष ५, किरण १-२, मार्च १९४३ । ** यह प्रश्नोत्तरी अमोघवर्षकी 'प्रश्नोत्तर-रत्नमालिका' सस्कृतके आधारपर नये ढगसे सकलित की गई।
SR No.010793
Book TitleYugveer Nibandhavali Part 2
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJugalkishor Mukhtar
PublisherVeer Seva Mandir Trust
Publication Year1967
Total Pages881
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size24 MB
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