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________________ ८१४ युगवीर-निवन्धावली अतः समाजका इस विषयमे यह खास कर्तव्य है कि वह अब और अधिक समय तक इस मामलेको खटाईमें न डाले रक्खे, उसे पूर्ण उद्योगके साथ गहरा आन्दोलन करके और अच्छे उत्साही तथा कार्यकुशल योग्य पुरुपोकी योजना-द्वारा व्यवस्थित रूपसे काम कर शीघ्र ही इस क्षेत्रके उद्धार-कार्यको पूरा करना चाहिये। ऐसा न हो कही विलम्बसे दूसरे मदिर भी धराशायी हो जायें और फिर खाली पछतावा ही पछतावा अवशिष्ट रह जाय । बुन्देलखण्डके भाइयोकी इस विषयमें खास जिम्मेवारी है और इस क्षेत्रका अभी तक उद्धार न होनेका खास कलक भी उन्हीके सिर है। वे यदि कुछ समयके लिये नये-नये मंदिरोके निर्माण और मेले प्रतिष्ठाओको बन्द रख कर इस ओर अपनी शक्ति लगावें तो इस क्षेत्रका उद्धार होनेमे कुछ भी देर न लगे। तीर्थक्षेत्र-कमेटीको भी इस विषयमे सविशेष रूपसे ध्यान देना चाहिये और यह प्रकट कर देना चाहिये कि अभी तक इस दिशामे क्या कुछ कारवाई हुई है। १. अनेकान्त वर्ष १, किरण २, दिसम्बर १९३० ।
SR No.010793
Book TitleYugveer Nibandhavali Part 2
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJugalkishor Mukhtar
PublisherVeer Seva Mandir Trust
Publication Year1967
Total Pages881
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size24 MB
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