SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 760
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ दुःसह दुःखद वियोग : १७: ता० २८ जनवरी १९६६ को सुबह कलकत्ताके तारसे यह दु समाचार पाकर हृदयको वडा ही आघात पहुँचा कि श्री बाबू छोटेलालजीका २६ जनवरीको सुबह देहावसान होगया है। तवसे चित्त अशान्त चल रहा है और कुछ करने-करानेको मन नही होता। यह ठोक है कि वे अर्से से बीमार चल रहे थे, परन्तु बीच-बीचमे कुछ अच्छे भी होते रहे है और इसलिए यह आशा नही थी कि वे इस तरह ऐसे समाप्त हो जायेंगे। वे बराबर अपने पत्रोमें दिल्ली आने और वीरसेवामन्दिरको व्यवस्थाको ठीक करने तथा किसी योग्य मत्रीकी नियुक्तिका आश्वासन देते रहे हैं । जब-जब उन्होने दिल्ली आनेका निश्चय किया है तब-तब उनपर रोगका आक्रमण होता रहा है और एक-दो बार तो वे टिकट कटाकर और सीट रिजर्व कराकर भी नही आ सके। यह बडे ही दुर्भाग्यकी बात है। १० अगस्तके पत्रमे दिये गए निम्न शब्द उनकी इच्छा, स्थिति और वेबसीके द्योतक हैं "मेरी प्रबल इच्छा है कि एक बार दिल्ली हो आऊँ और वीरसेवामन्दिरके कामको ठीक कर आऊँ। अभी ८ दिन हुए तब एक दिन कुछ तबियत ठीक हुई थी, तब रेलमे सीट रिजर्व करानेको कह दिया था कि जिस दिनकी सीट मिले, रिजर्व करा लेना। बस, उसी दिन रातको फिर जोरका दौरा पडा-सबेरे भी कष्ट रहा, तब सीट रिजर्व कराना स्थगित किया। मैं नित्य भगवानसे प्रार्थना करता हूँ कि एक
SR No.010793
Book TitleYugveer Nibandhavali Part 2
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJugalkishor Mukhtar
PublisherVeer Seva Mandir Trust
Publication Year1967
Total Pages881
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size24 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy