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________________ श्रोदादीजी ८: पर गानो जिता मान-मन ग वर्गीय ला. गन्दा नी रिलाये ना मामी हो गगे । यानयन, गालो को नया दामोली, नानीको नाम 'नी' बाई मानदारा जन्म गरिमोट (माय) : from १८१८ तुन गा। निगम का जोर काना मनोगेया। गत जमा आपापान कलमें जाना पो, परत विचार दशक पनित हो गई मीकि पानामानी। भले ही जियप गाधारण सामादि - भजन मगह, भार नाना र पूजापाठोगुनको भाप पर लेती है, फिर भी आपने माय मुने और नामाननावी पत-म. उपवार गया नयनादिरी होनी बात ऐनी उठा नही गयी जिसपर आपने दस्ताप गाय मानन किया हो। मुख्य मुय यानाएं भी आपने मय हो :-तीन महीने दक्षिणदेशीय याना आप नकुटुम्ब मेरे साथ भी नही है और पूर्वको यानाओमे भी पगिरि, उदयगिरि क साथ रही हैं। आपका स्वभाव जीवन-भर बडा ही नम्र, प्रेमपूर्ण और सेवापरायण रहा है। कोई भी अतिथि घरपर जाये उसे आपने सादर भोजन कराये बिना जाने नही दिया। मतिथि न
SR No.010793
Book TitleYugveer Nibandhavali Part 2
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJugalkishor Mukhtar
PublisherVeer Seva Mandir Trust
Publication Year1967
Total Pages881
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size24 MB
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