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________________ युगवीर-निवन्धावली तौरसे कारवन्द होनेके लिये एक अच्छी सुविधाजनक योजना तय्यार कर लेनी चाहिये । छह महीनेका समय कोई अधिक समय नहीं है, इतने समयके लिये उन विद्यालयोके वन्द हे नेमे किमी भी विशेप हानिकी सम्भावना नहीं। तीन-तीन महीनेके लिये तो आमतौरपर कालिजोमे छुट्टियाँ हो जाती है हाईकोर्ट तक वद रहती हैं, तब एक खास उद्देश्यकी सिद्धिके लिये इन विद्यालयोको यदि छह महीनेके लिये बन्द कर दिया जाय तो इससे कोई हर्ज नही पड़ सकता-बल्कि ऐमा होनेसे समाजमे एक अच्छा क्रियात्मक और स्फूर्तिदायक वातावरण उत्पन्न हो जायगा, जो अन्तमे वहुत ही लाभदायक सिद्ध होगा। यदि किसी तरह छह महीनेके लिये इन विद्यालयोका पूरी तौरपर वन्द करना इष्ट ही न हो तो कमसे कम उक्त अवधिके लिये इनमे होती हुई धर्मशास्त्र, न्यायशास्त्र और जेन काव्यग्रन्थोकी शिक्षाको वन्द करने उनके अध्यापकोको वेतनादिकी उसी शर्त के साथ निर्दिष्ट कार्यमे लगाया जाय। मैं समझता हूँ मेरी यह उपाय-योजना समाजके अधिकाश हितचिन्तिको, दूरशियो, भविष्यको चिन्ता रखनेवाले समझदार व्यक्तियो और सच्ची धर्मप्रभावनाके इच्छुक सज्जनोको जर पसन्द आयगी-खासकर उन लोगोको विशेष रुचिकर होगी जो ५० दरवारीलालजीके लेखोसे व्यथित-चित्त हैं और समाजके इन वडे-बडे पडितोसे उनका उत्तर चाहते हैं। ऐसे सभी महानुभावोको इस विपयमे अपनी सम्मति प्रकट करते हुए उक्त उपायपर शीघ्र अमल होनेका आन्दोलन करना चाहिये और विद्यालयोके अधिकारीवर्गसे मिलकर उन्हे इस शुभ कार्यके लिये प्रोत्साहित करना चाहिये । ब्रह्मचारी शीतलप्रसादजी और वर्णी दीपचन्दजी जैसे सज्जनोका इस विषयमे यह मुख्य कर्तव्य होना
SR No.010793
Book TitleYugveer Nibandhavali Part 2
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJugalkishor Mukhtar
PublisherVeer Seva Mandir Trust
Publication Year1967
Total Pages881
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size24 MB
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