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________________ म्लेच्छकन्याओंसे विवाह म्लेच्छ राजा का ही है, तब यह प्रश्न पैदा होता है कि क्या चक्रवर्ती राजा म्लेच्छखडके उन म्लेच्छोकी कन्याओसे विवाह नही करता है जो राजा नही है, किन्तु अपने समाजके अन्य प्रतिष्ठित पुरुप वा साधारण म्लेच्छ है ? ऐसी अवस्थामे सम्पादकजीका अभिप्राय स्पष्ट शब्दोमे प्रगट होनेकी बहुत बड़ी जरूरत है। अत सम्पादकजीसे मेरी प्रार्थना है कि वे अपने पत्रमे स्पष्ट रूपसे, जैनशास्त्रोके प्रमाणसहित, इस बातको प्रगट करें कि, चक्रवर्ती म्लेच्छोकी कन्याओसे विवाह करते हैं या नही ? यदि करते हैं तो म्लेच्छ राजाओ की ही कन्याओसे विवाह करते हैं वा इतर म्लेच्छोकी कन्याओसे भी करते हैं ? और यदि म्लेच्छोकी कन्याओसे विवाह नही करते तो क्या म्लेच्छखडोमें आर्यराजा व इतर आर्यजन भी निवास करते हैं ? __ अब इस विषयमे शास्त्रोके देखनेसे मुझे जो कुछ प्रमाण उपलब्ध हुए हैं, उनमेसे कुछ प्रमाण नमूनेके तौरपर मैं यहाँ देता हूँ, ताकि सम्पादकजी इन शास्त्र-प्रमाणोको ध्यानमे रखते हुए उत्तर लिखनेकी कृपा करें और अपने उत्तरमे इनका भी स्पष्टीकरण कर देवें -- (१) श्री अमृतचन्द्रसूरिने 'तत्त्वार्थसार' मे मनुष्योके आर्य और म्लेच्छ, ऐसे दो भेदोका वर्णन करते हुए लिखा है-- "आर्यखडोद्भवा आर्या म्लेच्छाः केचिच्छकादय । म्लेच्छखडोद्भवा म्लेच्छा अन्तरद्वीपजा अपि ॥११२॥" अर्थात्--जो लोग आर्यखडमें उत्पन्न हुए हैं वे आर्य कहलाते हैं, परन्तु उनमें जो कुछ शक, यवनादिक लोग हैं वे म्लेच्छ कहे
SR No.010793
Book TitleYugveer Nibandhavali Part 2
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJugalkishor Mukhtar
PublisherVeer Seva Mandir Trust
Publication Year1967
Total Pages881
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size24 MB
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