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________________ १४२ युगवीर-निवन्धावली राजा मुसलमान ही हुआ करता है ? फिर क्या अपनी ही कल्पनाकी समालोचना करके आप खुश होते हैं ? क्या जिस रांजाकी वावत यह कहा जाता हो कि यह 'हिन्दूराजा' है आप उसे 'मुसलमान' समझते ? और जिसे 'मुसलमान राजा' के नामसे पुकारा अथवा उल्लेखित किया जाता हो उसे 'हिन्दू' खयाल करते हैं ? यदि नही तो फिर एक 'म्लेच्छराजा' को म्लेच्छ न मानकर आप 'आर्य' कैसे कह सकते हैं ? 'हिन्दू' और 'मुसलमान' जिस प्रकार जातिवाचक शब्द हैं उसी प्रकारसे 'मलेच्छ' भी एक जातिवाचक शब्द है । और ये तीनो ही राजा शब्दके पूर्ववर्ती होनेपर अपने-अपने उत्तरवर्ती राजाकी जातिको सूचित करते हैं। स्वय श्रीजिनसेनाचार्यने, अपने हरिवशपुराणमे, इस राजाको स्पष्टरूपसे 'मलेच्छराज' लिखा है । यथा . चपा-सरसि, संप्राप्य तस्यां सोऽमात्यदेहजाम् ॥ ४॥ तोयक्रीडारतस्तत्र स हृतः सूर्पकाऽरिणा। विमुक्तश्च पपातासौ भागीरथ्यां मनोरथी ।। ५॥ पर्यटन्नटवी तत्र म्लेच्छराजेन वीक्षितः। परिणीय सुतां तस्य जराख्यां तत्र चावसत् ॥ ६॥ जरत्कुमारमुत्पाद्य तस्यामुन्नतविक्रमः। इन पद्योमे यह बतलाया गया है कि-'चपापुरीमे वहाँके मत्रीकी पुत्रीसे विवाह करके, एक दिन वसुदेव चपा नगरीके सरोवरमे जलक्रीडा कर रहे थे, उनका शत्रु सूर्पक उन्हे हर कर लेगया और ऊपरसे छोड दिया। वे भागीरथी ( गगा) नदीमे गिरे और उसमेसे निकल कर एक वनमे घूमने लगे। वहाँ एक म्लेच्छराजासे उनका परिचय हुआ, जिसकी 'जरा' नामकी कन्यासे विवाह करके वे वहाँ रहने लगे और उस स्त्रीसे उन्होंने "जरत्कुमार' नामका पुत्र उत्पन्न किया ।'
SR No.010793
Book TitleYugveer Nibandhavali Part 2
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJugalkishor Mukhtar
PublisherVeer Seva Mandir Trust
Publication Year1967
Total Pages881
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size24 MB
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