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के विद्वानों, विचारकों और साहित्यकारों का इस प्रकार के शोध-पूर्ण कार्यों की ओर अधिकाधिक प्रवृत्त होना आवश्यक है।
साहित्य-संस्थान, हिन्दी के आदि ग्रंथ "पृथ्वीराज रसौ" का प्रामाणिक संस्करण अर्थ और भूमिका सहित "प्रथम भाग" प्रकाशित कर चुका है तथा द्वितीय भाग प्रेस कॉपी के रूप में तैयार है। "रासौ" का सम्पादन कार्य इस विषय के मर्मज्ञ विद्वान श्री कविराव मोहनसिंह, उदयपुर कर रहे हैं। इसके प्रकाशन से हिन्दी साहित्य की एक ऐतिहासिक कमी की पूर्ति होगी।
आशा है विद्वानों, कलाकारों, और धनी मानी सज्जनों द्वारा संस्थान को इस कार्य में पूरा सहयोग प्राप्त होगा। इसी आशा के साथविक्रमी सं० २०१२)
गिरिधारीलाल शर्मा गुरु पूर्णिमा
अध्यत साहित्य-संस्थान