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________________ . (२२०) इति श्री महाराष्ठ कुमार श्री प्रथीराज विवाहोत्सवः पं० लिषमी इशल कृत संपूर्णः ॥ पठनार्थ चेला सोमाग चंद ।। दुर्लभेन लि. प्रति परिचय-पत्र ६ साइज १०॥॥४४॥ प्रति पृष्ठ पं० १० प्रति पं० अ० ३४ प्रति नं०२, पत्र संख्या४, साइज ८४४|| प्रति पृ० पं०१३,१०४६ इति श्री महाराउ कुमार श्री पृथ्वीराज विवाहोत्सव पं० । लिषमी कुशल कृत संपूर्ण लिखितं (पं० ) कीर्ति कुशल गणि। वाचनार्थ चिरंजीवी गुलालचंद तथा रंगजी श्रीमान श्रा मध्ये। श्री सुपार्श्व जिन प्रसादात । [राजस्थान पुरातत्व मंदिर, जयपुर ] (१) नाटक नरेश लखपत के मरसीयां। पद्य संख्या ६० कुअर कुशल सूरी। सं० १८१७ आदि अथ श्री महाराउ लषपति स्वर्ग प्राप्ति समय वर्णन दोहा दौलति कविता देत है दिन प्रति दिन कर देव । कविजन याते करत हैं मुकर सफल सुमचेव ॥ १ ॥ सकल मनोरण सफल कर श्रासा पूरा श्राप । Bषदाई दरसन सदा निरषत हौहि न पाप ॥२॥ भाई श्री धामापुरा राजत कधर राजि । तुम करपति को देत हौ बहु दौलति गज बाजि ॥ ३ ॥ कविस्त छप्पय वरसह का बन बिमल अनुज प्रभु के जब भाये, पूरम श्रायु प्रमानि किये तब मन के भाये । तुला करि तिहि समय दानहु जगन की दीन्हें, प्रजा नृपति हित पुन्य किये श्रवननि मुनि लीन्हे ।। तप जप अनेक समता सहित ध्यान सदा शिव को धरयौ। पातिक पजारि सब पिंडके कुदन ते उज्वल कर यो ॥३३॥ पुनः छप्पय संक्त ठारहि सतनि उपर सत्रह बरसनि हुव जेठ मासि सुदि जानि परनातिथि पंचमि धुव
SR No.010790
Book TitleRajasthan me Hindi ke Hastlikhit Grantho ki Khoj Part 4
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAgarchand Nahta
PublisherRajasthan Vishva Vidyapith
Publication Year1954
Total Pages301
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size6 MB
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