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________________ (२८६ ) इति संगीत सारोद्धार मिश्र गिरधर विरचित रागमालायां दीपक रागरागिणी निर्णय सप्तमांक ॥ ७॥ इति रागमाला ॥ वि. १. रागरागिणी निरूपणो प्रथमांक । ,, २. भइरव रागरागिणी निर्णयो द्वितीयांक । ,, ३. मालव कौशिक रागरागिणी निर्णये तृ० । ,, ४. हिंडोल रागरागिणी रूप निणंये चतुर्थांक । ,, ५. श्रीराग रागरागिणी रूप निणये पंचमांक । ,, ६. मेघ रागरागिणी रूप निर्णये षष्ठांक । पत्र १ यति बालचन्दजी, चित्तौड़ । लेखन- १८वीं शती । (६) नाटक ( १ ) कुरीति तिमिर मार्तण्ड नाटक । ८. रामसरन दूसरी प्रति पत्र १२१-७२-१२६-४१३-७३२ । आदि- अथ कुरीति तिमर मार्तण्ड नाटक । दोहानमो नामि के नंद कौ, विघन हग्न के हेत । सकलन सिद्ध दाता रहैं, मन वांछित सुख देत ॥१॥ परमात्मा स्तुति - गजल षखानजी, + x + सूत्रधार (आकाश की ओर देखकर)। श्रोह हो, देखो, क्या घोर कलिकाल प्रगट हो रहा है। प्राणी अन्याय मार्ग में कैसे लीन होरहे हैं। खोटे कार्य करते भी चित्त में लज्जा नहीं आती है। ये सम्पूर्ण अविद्या का प्रभाव है। धन्य, विधाता तेरी शक्ति, तेरा चरित्र अगाध है। इसमें चुप रहने का ही काम है। अंत फरुखाबाद निवास जिन, अपन धर्म लक्लीन । निवसत मनसुख राग तहां, आयुर्वेद प्रवीन ॥
SR No.010790
Book TitleRajasthan me Hindi ke Hastlikhit Grantho ki Khoj Part 4
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAgarchand Nahta
PublisherRajasthan Vishva Vidyapith
Publication Year1954
Total Pages301
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size6 MB
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