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________________ अन्य (950) पाट महाष्ट्र में, डायोड | वास बहों हरिभक्त जहाँ सबस बुद्धि को धाम || परगट पंडित देश में, तास तनय शिवदास farai fare विवेक बुद्धि, पर नवि खेडत पास || सतवली तिय मतर विच परद रति विश्नाम | पचोली पृथवी प्रगट, निरुपम नाथूराम ॥ फकीरदास अनि फाबतो, तर अंगज प्रति नेज । गुग्ण ग्राहक छति मति सुरगुरु, हरषण तजित हेज | एषिहुं तिजो शिष्य निज, चातुर लखमीचंद | मिलि चारु मिज लए करि, कीयो ग्रन्थ सुखकंद | कवित्त रसव मुनि त्रिधु वर्ष मास त पसितपथ मुणोथ । तिथि पंचम क्षिति प्रणीमार तिय दिन कोमिणी यह ॥ तपगंज सिरताज मगसि ( क१) रमगय दुखभंजन | तहाँ पद पंकज भृंग सकल सजन मनरंजन ॥ केसरि कीरति जोड करी, कर्यो प्रन्थ सुखरासि । पढ़े गुणै खै मुणौ पावत चित ...... इति नाम रत्नाकर अधिक- ४ रेवाधिकार पत्र २२२ मनुष्याधिकार पद्म २७३ स्त्री पद्य १६२ ११७ प्रत्येक अधिकार के पथ अन्तकं सत्र व केसवदामकवि का नाम है प्रथमधिकार की लेखनसमाप्ति में कैंसर की कृति विजयते लिखा है । पद्य ३२८ पं० १५ ० ४३ [ मोतीचंद खजानची संग्रह ] ( ४ ) नांमसार रचयिता राठौड़ फतहसिंह महेशदासोत आदि श्रीगणेशायनमः अथ राठौड़ फतेसिंघ महेसदासोत कक्ष नांमसार लिखते ॥
SR No.010790
Book TitleRajasthan me Hindi ke Hastlikhit Grantho ki Khoj Part 4
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAgarchand Nahta
PublisherRajasthan Vishva Vidyapith
Publication Year1954
Total Pages301
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size6 MB
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