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अन्य
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पाट महाष्ट्र में, डायोड |
वास बहों हरिभक्त जहाँ सबस बुद्धि को धाम ||
परगट पंडित देश में, तास
तनय शिवदास
farai fare विवेक बुद्धि, पर नवि खेडत पास || सतवली तिय मतर विच परद रति विश्नाम | पचोली पृथवी प्रगट, निरुपम नाथूराम ॥ फकीरदास अनि फाबतो, तर अंगज प्रति नेज । गुग्ण ग्राहक छति मति सुरगुरु, हरषण तजित हेज | एषिहुं तिजो शिष्य निज, चातुर लखमीचंद | मिलि चारु मिज लए करि, कीयो ग्रन्थ सुखकंद | कवित्त
रसव मुनि त्रिधु वर्ष मास त पसितपथ मुणोथ । तिथि पंचम क्षिति प्रणीमार तिय दिन कोमिणी यह ॥ तपगंज सिरताज मगसि ( क१) रमगय दुखभंजन | तहाँ पद पंकज भृंग सकल सजन मनरंजन ॥ केसरि कीरति जोड करी, कर्यो
प्रन्थ सुखरासि ।
पढ़े गुणै खै मुणौ पावत चित
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इति नाम रत्नाकर
अधिक- ४ रेवाधिकार पत्र २२२ मनुष्याधिकार पद्म २७३ स्त्री पद्य १६२
११७
प्रत्येक अधिकार के पथ अन्तकं सत्र व केसवदामकवि का नाम है प्रथमधिकार की लेखनसमाप्ति में कैंसर की कृति विजयते लिखा है ।
पद्य ३२८ पं० १५ ० ४३
[ मोतीचंद खजानची संग्रह ] ( ४ ) नांमसार रचयिता राठौड़ फतहसिंह महेशदासोत
आदि
श्रीगणेशायनमः अथ राठौड़ फतेसिंघ महेसदासोत कक्ष नांमसार लिखते ॥