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________________ ( १५४ ) चैत चादन पारख की, सुभ नौमी अमिराम । पुष्य नक्षत्र धृत जोग वर, मंगलबार ललाम ।। जन्म पारस परस पल, पुरी बनारस नाम । जन्म भूमि या ग्रंथ की, मई छई मुख धाम ॥ X to विशेष-प्रन्थ का परिणाम २५०० श्लोक के लगभग है प्रति-गुटकाकार। [ स्वग्तर प्राचार्य शाखा भंडार] (४६ ) भोजन विधि । पद्य-५१ । रचयिता- रघुपति । आदि स्वस्ति श्री ऋद्धि वृद्धि सिद्धि प्रानंद जय मंगल उदय हेतु जन्म जाको भयो है । उधव अनेक ताके कुंड पुर नगर माहि कराये सिद्धार्थ भूप पार किन लधौ है । दान मान नित्य-प्रति करत ही अकादश दिवस व्यतीत हुवे मोद परनयो है । बारमें दिन मांहि पुत्र जन्म नाम पर कुं भोजन विधान राजा सिद्धार्थ पुढ्यौ है ।। असन पान खादिय तथा, स्वादिम च्यार प्रकार । यथा योग्य संस्कार युत, भोजन होत तैयार ॥ १ ॥ x x x x भंत हाथ जोर रघुपति करी, बीनती वार हजार । मो गरीब कू स्वामि जी, भव सागर से तार ॥ ५१ ॥ इत्यले । भोजन विधि । लेखन काल-संवत् १९२० सरसा मध्ये ॥ प्रति परिचय-पत्र-३ । पंक्ति-१५ । अनार-४० ! साइज-५०x४॥. विशेष-भगवान महावीर के दसोठण (नाम स्थापन संरकार ) के समय भोजन की तैयारी की गई उसका वर्णन कविने किया है।
SR No.010790
Book TitleRajasthan me Hindi ke Hastlikhit Grantho ki Khoj Part 4
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAgarchand Nahta
PublisherRajasthan Vishva Vidyapith
Publication Year1954
Total Pages301
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size6 MB
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